नैनीताल: दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने के विरोध में दायर याचिका पर हाईकोर्ट सख्त! केंद्र सरकार को दिए निर्देश

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दून घाटी अधिसूचना 1989 को राज्य सरकार के द्वारा निरस्त करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई 27 जून को भी जारी रखी है। हाइकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्यों न याचिकाकर्ता को एक मौका दिया जाय कि वे इस सम्बंध में अपना पक्ष केंद्र सरकार के उस संबंधित विभाग में रखें, जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि दून घाटी को इको सेंसिटिव जोन ही रहने दिया जाये। साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार स्थिति से अवगत कराए।
मामले के अनुसार कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने साल 1989 में दून घाटी को पर्यावरणीय दृष्टि से इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। अब राज्य सरकार इसका स्वरूप बदल रही है, जबकि इसका स्वरूप बदलने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक है। क्योंकि उसी का नोटिफिकेशन है। राज्य सरकार प्रदेश के मुख्य प्रदूषित क्षेत्र देहरादून, काशीपुर व ऋषिकेश को साफ करने के नाम पर करोड़ रुपये का बजट केंद्र से ले रही है, जो कि नोटिफिकेशन के खिलाफ है। नोटिफिकेशन में कई शर्त रखी गयी हैं। उनका अनुपालन करने के बाद ही राज्य सरकार केंद्र की अनुमति के बाद नोटिफाइड कर सकती है। अभी तक राज्य सरकार ने किसी भी शर्त का अनुपालन नहीं किया, सेंसिटिव जोन को डिनोटिफाइड कर रही है, इसलिए इसपर रोक लगाई जाए।