नैनीताल: ये सिर्फ झीलों का शहर नहीं बल्कि चर्चों का शहर भी है! सबसे पुराने मैथोडिस्ट चर्च में धूमधाम से मनाया जा रहा क्रिसमस

Nainital: Christmas was celebrated with great fervor at Asia's oldest Methodist church; the lake city resonated with prayers.

नैनीताल।
सरोवर नगरी नैनीताल में क्रिसमस का पर्व इस वर्ष भी श्रद्धा, उल्लास और शांति के वातावरण में बड़े धूमधाम से मनाया गया। एशिया के सबसे पुराने चर्चों में शामिल ऐतिहासिक मैथोडिस्ट चर्च सहित नैनीताल के प्रमुख चर्चों में प्रभु यीशु मसीह के जन्म की खुशी में विशेष प्रार्थनाओं और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।


ब्रिटिश काल में वर्ष 1846 के आसपास स्थापित मैथोडिस्ट चर्च नैनीताल की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का महत्वपूर्ण प्रतीक है। क्रिसमस के अवसर पर इस चर्च के साथ-साथ सेंट फ्रांसिस चर्च को आकर्षक रोशनी, मोमबत्तियों और फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया। देर रात तक चर्चों में कैरल सॉन्ग्स, बाइबिल पाठ और विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं।
नैनीताल को भले ही झीलों के शहर के रूप में जाना जाता हो, लेकिन यह शहर अपनी समृद्ध धार्मिक विरासत के कारण “चर्चों के शहर” के रूप में भी प्रसिद्ध है। नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर यहां दर्जनभर से अधिक ऐतिहासिक चर्च स्थित हैं, जो आज भी अपनी स्थापत्य कला और आध्यात्मिक गरिमा के लिए जाने जाते हैं।
क्रिसमस की सुबह से ही मल्लीताल स्थित ऐतिहासिक मैथोडिस्ट चर्च में ईसाई समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्मों के श्रद्धालुओं की भी भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने कोरल सॉन्ग्स के माध्यम से प्रभु यीशु का स्मरण किया और शांति, प्रेम व भाईचारे की कामना की। वहीं, क्रिसमस और नववर्ष मनाने पहुंचे देश-विदेश के पर्यटक भी बड़ी संख्या में चर्चों में प्रार्थना करते नजर आए।
चर्च में आयोजित आम सभा के दौरान पादरियों ने अपने संदेश में प्रेम, करुणा और मानवता को अपनाने का आह्वान किया। साथ ही देश-दुनिया में शांति, सौहार्द और खुशहाली के लिए विशेष प्रार्थना की गई। पूरे शहर में क्रिसमस के अवसर पर आध्यात्मिक उल्लास और सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा दृश्य देखने को मिला।