अफसर हो तो ऐसाः जब बच्चे की किताबें लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा मजदूर! बोला- साहब 2130 में लेकर आया हूं? स्कूल की मनमानी देख डीएम ने निरस्त की मान्यता
भिंड़। साहब! मैं एक मजदूर हूं और मजदूरी करके ही अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं। मेरा बेटा कक्षा दो में पढ़ता है स्कूल प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पर्ची दी थी और 2130 रुपए की किताबें खरीदकर लाया हूं। दरअसल भिंड के हलवाई खाना निवासी इमदाद अहमद बीते दिनों कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचा था और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से मुलाकात की। इस दौरान इमदाद अहमद ने बताया कि उसका बेटा हलवाई खाना स्थित सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है। स्कूल प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पर्ची दी, जिस पर सुविधा बुक स्टोर का नाम लिखा था। यह किताबें दूसरी किसी दुकान पर उपलब्ध नहीं थीं। पुस्तक बाजार में संचालित इस दुकान से जब किताबें खरीदी, तो दुकानदार ने 2130 रुपए मांगे। मैंने इतनी अधिक कीमत सुनकर जब मोलभाव का प्रयास किया तो दुकानदार ने साफ इंकार कर दिया। इतना ही नहीं कापियों के लिए 500 रुपए और मांगे गए। लेकिन मेरे पास पूरे रुपये न होने की वजह से कापियां नहीं खरीद पाया। इन किताबों में एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं थी। इमदाद की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर श्रीवास्तव ने डीपीसी व्योमेश शर्मा को फोन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि एक ही दुकान से अधिक दाम पर किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल की मान्यता को तुरंत निरस्त कर दिया जाए। कलेक्टर के निर्देश के बाद डीपीसी ने स्कूल की मान्यता को निरस्त कर दिया है। यहां बता दें कि इससे कुछ दिन पूर्व सेंट माइकल स्कूल की मान्यता भी सस्पेंड की गई थी।