अटल जयंतीः लखनऊ पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी! राष्ट्र प्रेरणा स्थल का भव्य उद्घाटन, बोले- हमारी सरकार ने गिराई 370 की दीवार
लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की 101वीं जयंती के मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ पहुंचे और राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। यह प्रेरणा स्थल वसंत कुंज इलाके में बनाया गया है। पीएम मोदी ने इस मौके पर जनसभा को भी संबोधित किया। इस राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण केंद्र ने आजाद भारत के महानायकों की विरासत को सम्मान देने के लिए कराया है। इस दौरान पीएम मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने प्रेरणा स्थल का लोकार्पण कर दिया है। अपने संबोधन में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने देश को निर्णायक दिशा दी। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने दो विधान, दो निशान और दो प्रधान की व्यवस्था को सिरे से खारिज किया था, जो आज़ादी के बाद भी जम्मू-कश्मीर में लागू थी और भारत की अखंडता के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई थी।
पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी सरकार को अनुच्छेद 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला और आज भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह लागू है। पीएम मोदी ने कहा कि आज मेड इन इंडिया उत्पाद दुनिया भर में पहुंच रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में बन रहे बड़े डिफेंस कॉरिडोर का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत देखी, उसका निर्माण लखनऊ में हो रहा है। इसे उन्होंने भारत की तकनीकी और औद्योगिक क्षमता का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर सुशासन के उत्सव को भी याद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक केवल गरीबी हटाओ जैसे नारों को शासन माना गया, लेकिन अटल जी ने सुशासन को ज़मीन पर उतारकर दिखाया। पीएम मोदी ने कहा कि देश के संविधान को बनाने वाले बाबा साहब आंबेडकर को सपा और कांग्रेस ने मिटाने का पाप किया है। दिल्ली के एक शाही परिवार ने आंबेडकर का जिक्र इसलिए नहीं किया कि कहीं उनके महत्व में कमी न आ जाए। प्रदेश में यही काम सपा ने किया। इन दोनों पार्टियों ने आंबेडकर को वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिए था।