हरियाणा: पारदर्शिता और सुविधा की दिशा में बड़ा कदम, एचएसवीपी ने लॉन्च किया निजी संपत्ति विक्री-खरीद पोर्टल

चंडीगढ़। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने नागरिकों और आवंटियों को संपत्ति संबंधी लेन-देन में पारदर्शिता और सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक नया निजी संपत्ति विक्री-खरीद पोर्टल शुरू किया है। यह पोर्टल पूरी तरह स्वैच्छिक है और इसे एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका उद्देश्य संपत्ति खरीद-बिक्री में पारदर्शिता, सुगमता और विश्वास कायम करना है। एचएसवीपी के प्रवक्ता के अनुसार, यह पोर्टल विशेष रूप से उन प्लॉट धारकों के लिए लाभकारी होगा जो घर बैठे अपनी संपत्ति बेचना चाहते हैं, वास्तविक बाजार मूल्य जानना चाहते हैं या यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन्हें तयशुदा मूल्य से कम भुगतान न मिले। पोर्टल विक्रेताओं और खरीदारों दोनों को एक पारदर्शी और डिजिटल प्लेटफार्म प्रदान करता है।
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं है। विक्रेता अपनी संपत्ति किसी भी समय पोर्टल से हटा सकते हैं या नीलामी प्रक्रिया से वापस ले सकते हैं। साथ ही, सर्वोच्च बोली स्वीकार करना या अस्वीकार करना पूरी तरह विक्रेता की इच्छा पर निर्भर करेगा। विक्रेता अपनी अपेक्षित कीमत, बयाना राशि और भुगतान की तिथि स्वयं तय कर सकते हैं। वे चाहें तो अपनी संपत्ति की तस्वीरें और वीडियो अपलोड कर खरीदारों को दिखा सकते हैं, या अपनी गोपनीयता बनाए रखने का विकल्प चुन सकते हैं। खरीदारों के लिए भी यह पोर्टल उतना ही उपयोगी साबित होगा। पोर्टल पर केवल वही संपत्तियां सूचीबद्ध की जाएंगी जो एचएसवीपी द्वारा सत्यापन और अनुमोदन के बाद जोड़ी गई होंगी। नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी होगी। बोली विक्रेता की अपेक्षित कीमत के 80 प्रतिशत से शुरू होगी और प्रतिस्पर्धी वातावरण में आगे बढ़ेगी। खरीदार कहीं से भी ऑनलाइन पंजीकरण कर बोली में भाग ले सकते हैं और उन्हें निर्धारित समय पर संपत्ति का निरीक्षण करने का अधिकार भी होगा।
पोर्टल के तहत खरीदारों की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी और सभी लेन-देन केवल डिजिटल माध्यम से होंगे, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहेगी। खरीदार को पंजीकरण शुल्क के रूप में 1180 रुपये (1000 रुपये + 18 प्रतिशत जीएसटी) देना होगा। यदि विक्रेता संपत्ति वापस ले लेता है या बोली अस्वीकार कर देता है, तो खरीदार को 1000 रुपये वापस कर दिए जाएंगे, जबकि जीएसटी राशि गैर-वापसी योग्य होगी। नीलामी में भाग लेने से पहले खरीदार को अपनी डिजिटल वॉलेट में संपत्ति की अपेक्षित कीमत का 0.5 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। अंतिम बोली स्वीकार होने पर एचएसवीपी को 0.5 प्रतिशत कमीशन शुल्क देना अनिवार्य होगा। इसके बाद विक्रेता के नाम खरीदार को ट्रांसफर परमिशन जारी कर दी जाएगी। रजिस्ट्री की तिथि और समय खरीदार-विक्रेता आपसी सहमति से तय करेंगे, जिसमें एचएसवीपी की कोई भूमिका नहीं होगी। प्रवक्ता ने कहा कि यह पोर्टल न तो अनिवार्य है और न ही बाध्यकारी। यह केवल एक अतिरिक्त और सुरक्षित विकल्प है, जिससे संपत्ति लेन-देन पारदर्शी और विश्वास योग्य बने। यह पहल राज्य में डिजिटलाइजेशन और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।