उत्तराखंड में लागू हुई देश की पहली योग पॉलिसी 2025! योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी बनेगा देवभूमि उत्तराखंड 

Country's first Yoga Policy 2025 implemented in Uttarakhand! Devbhoomi Uttarakhand will become the global capital of yoga and wellness

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड सरकार ने राज्य में देश की पहली योग नीति को लागू कर दिया है। उत्तराखंड राज्य को देवभूमि के साथ योग और वैलनेस की वैश्विक राजधानी बनाए जाने को लेकर आयुष विभाग ने योग पॉलिसी तैयार की थी। इस पर 28 मई 2025 को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रदेश की शीतकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश की पहली योग पॉलिसी की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद उत्तराखंड राज्य में योग नीति लागू हो गई है। 

दरअसल उत्तराखंड में योग पॉलिसी लागू करने की कवायद साल 2023 से ही चल रही थी. राज्य में आयुष नीति लागू होने के बाद आयुष विभाग ने साल 2023 में ही योग पॉलिसी तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए थे। आयुष विभाग ने योग नीति का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को प्रशिक्षण के लिए भी भेजा था। तब ड्राफ्ट में कुछ कमियां होने के चलते शासन से वापस भेजा गया था। इसके बाद आयुष विभाग ने शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार देश की पहली योग नीति तैयार की। इस योग नीति को तैयार करने में आयुष विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हितधारकों से भी सुझाव लिए। आयुष विभाग की ओर से करीब 2 साल में योग नीति तैयार की गई। मई 2025 में विधायी विभाग से मंजूरी मिलने के बाद 28 मई को इसे कैबिनेट के सामने रखा गया था, जिसे धामी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी। इसके बाद आज 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड योग पॉलिसी 2025 को लागू कर दिया गया है। उत्तराखंड योग नीति 2025 के तहत सरकार ने तमाम लक्ष्य भी तय किए हैं। इसके तहत साल 2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए योग हब स्थापित करने का लक्ष्य है। जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील क्षेत्र में योग हब स्थापित होंगे। इसके साथ ही मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराने का भी लक्ष्य तय है। राज्य सरकार का मानना है कि योग नीति लागू होने के बाद उत्तराखंड राज्य में 13,000 से अधिक रोजगार उपलब्ध होंगे। 2,500 योग शिक्षक योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से प्रमाणित होंगे। 10,000 से अधिक योग अनुदेशकों को होमस्टे, होटल आदि में रोजगार मिलने की संभावना है। 

देश की पहली योग नीति का उद्देश्य
- उत्तराखंड योग नीति से जनता का स्वास्थ्य संवर्धन के साथ ही उत्तराखंड में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 
- योग नीति के तहत योग निदेशालय की स्थापना की जाएगी। 
- योग संस्थानों के लिए नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे। 
- उत्तराखंड राज्य को योग और वैलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करेगी।
- उत्तराखंड राज्य को सशक्त और विकसित राज्य बनाने में इस नीति का सहयोग मिलेगा।
- योग नीति लागू होने के बाद देश के योग की आध्यात्मिक विरासत को संरक्षण मिलेगा।
- शिक्षा में योग का एकीकरण होगा।
- योग ध्यान केंद्रों को बढ़ावा मिलने के साथ ही विकास मिलेगा।
- योग एवं आध्यात्म में रिसर्च को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
- उत्तराखंड में योग, आध्यात्म और पर्यटन का भी विकास होगा।
- योग नीति के तहत योग प्रशिक्षक केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
- योग प्रशिक्षित का रजिस्ट्रेशन और योग संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलप किया जाएगा।
- उत्तराखंड योग नीति के तहत योग को प्रोत्साहित करने के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
- स्कूलों में योग पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
- आम जनता, स्कूली बच्चों एवं कॉलेज में लाइव योग का प्रसारण किया जाएगा।
- योग नीति से प्रदेश के 13 हज़ार लोगों को योग प्रशिक्षक, योग अनुदेशक के रूप में लाभ मिलेगा।
- होटल, रिसोर्ट, होमस्टे, स्कूल, कॉलेज और कॉरपोरेट सेक्टर में योग सत्र चलाए जाएंगे।

उत्तराखंड राज्य में आज 21 जून 2025 को योग नीति लागू होने के बाद अब योग नीति के संचालन, नियम बनाने एवं लागू करवाने, अनुदान देने और तमाम विभागीय गतिविधियों की निगरानी करने के लिए "योग निदेशालय" बनाया जाएगा। योग नीति में तमाम महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। जिसके तहत, योग प्रशिक्षक केदो की स्थापना की जाएगी, योग प्रशिक्षित का रजिस्ट्रेशन और योग संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया जाएगा। यही नहीं, योग नीति के तहत योग को प्रोत्साहित करने के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। जिसमें योग एवं ज्ञान केंद्रों को पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा. योग रिसर्च के लिए अनुदान की व्यवस्था, प्रदेश में मौजूद संसाधनों में योग को बढ़ावा के साथ ही स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर योग के क्षेत्र में क्षमता निर्माण किया जाएगा। साथ ही, विश्वस्तरीय योग केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।

योग नीति के तहत तय किए गए लक्ष्य
- साल 2030 तक उत्तराखंड में पांच नए योग हब स्थापित किए जाएंगे।
- जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील को योग के रूप में किया जाएगा विकसित।
- मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर में योग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
- समुदाय आधारित माइंडफुलनेस कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- अलग-अलग उम्र, जेंडर और वर्ग की जरूरत को ध्यान में रखते हुए शुरू किया जाएगा कार्यक्रम।
- प्रदेश के सभी योग संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
- एक विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफार्म शुरू किया जाएगा।
- योग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार अभियान चलाया जाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा।
- मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ भागीदारी विकसित करने का लक्ष्य रखा है।

नए योग केंद्र खोलने के लिए सब्सिडी का प्रावधान.
- नया योग केंद्र खोलने पर सरकार 25 से 50 फीसदी तक देगी सब्सिडी।
- पर्वतीय क्षेत्रों में योग केंद्र खोलने पर 50 फीसदी अधिकतम 20 लाख की सब्सिडी।
- मैदानी क्षेत्रों में योग केंद्र खोलने पर 25 फीसदी अधिकतम 10 लाख की सब्सिडी।
- एक साल में 5 करोड़ रुपए तक दी जाएगी सब्सिडी।
- योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च पर मिलेगा अनुदान।
- एक रिसर्च के लिए 10 लख रुपए तक का मिलेगा अनुदान।
- ये सुविधा विश्वविद्यालय, रिसर्च संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और एनजीओ के लिए होगा।
- रिसर्च के लिए कुल एक करोड़ रुपए का अनुदान किया गया है निर्धारित।

उत्तराखंड सरकार, योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना करेगी, जो नीति के सचालन, नियमन, अनुदान वितरण और तमाम गतिविधियों की निगरानी करेगा। निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक स्टाफ शामिल होंगे। निदेशालय का कार्य योग केंद्रों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना, योग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन और योग प्रमाणन बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त करवाना, योग केंद्रों की रेटिंग प्रणाली बनाना और एम.ओ.यू. के जरिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना होगा। नीति की समीक्षा और निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन किया जाएगा। नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार अगले पांच सालों में करीब 35 करोड़ रुपए खर्च करेगी।