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केदारनाथ कपाटबंदी के साक्षी बने मुख्यमंत्री धामी

Chief Minister Dhami witnessed the closure of Kedarnath doors

रुद्रप्रयाग। भैया दूज के पावन मौके पर आज केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान एवं धार्मिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये हैं। केदारनाथ कपाट बंद होने के मौके पर सीएम धामी भी धाम पहुंचे। सीएम धामी कपाट बंद होने से पूर्व बाबा केदार की पूजा-अर्चना में शामिल हुये। इसके बाद सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए बाबा केदार के कपाट बंद कर दिये गये हैं। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओम्कारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई है। वहीं, केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद करने को लेकर बदरी-केदार मंदिर समिति एवं हक हकूकधारियों की ओर से तैयारियां की गई थी। 

भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए गौरीकुंड स्थित गौरामाई के कपाट बंद कर दिए गए हैं। वीरवार सुबह 8 बजे पुजारी एवं ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों की उपस्थिति में मां गौरा माई के कपाट बंद कर दिए। मां की डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई। अब शीतकाल के छह माह तक गौरी गांव में मां गौरामाई की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी। मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भगृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है।  जिससे बाबा केदार व गौरामाई का मिलन नहीं हो पाता है। यहां पर भगवान शिव ने पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्धकर उसके सिर काटने से गौरामाई नाराज हुई थी। व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुण्ड राम गोस्वामी ने बताया ठीक 8 बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अब शीतकाल के छह माह तक मां गौरा की पूजा गौरी गांव में संपन्न की जाएगी। उन्होंने बताया यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। जब बाबा केदार के कपाट बंद होते हैं तो डोली के गौरीकुंड पहुंचने से पहले ही मां गौरा माई के कपाट बंद कर डोली गौरी गांव के लिए रवाना हो जाती है।