भ्रामक विज्ञापन के प्रकाशन का मामला! हाईकोर्ट ने पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द किया

नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और उसके संस्थापकों, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के प्रकाशन संबंधी आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। इस मामले में 2024 में उत्तराखंड के वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी की ओर से ड्रग्स और चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। आरोप था कि दवाएं मधुग्रिट, मधुनाशिनी, दिव्य लिपिडोम टैबलेट, दिव्य लिवोग्रिट टैबलेट, दिव्य लिवाम्रत एडवांस टैबलेट, दिव्य मधुनाशिनी वटी और दिव्य मधुग्रिट टैबलेट को भ्रामक विज्ञापन के जरिये बढ़ावा दिया गया था।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बीएनएस की धारा 582 के तहत पतंजलि आयुर्वेद, रामदेव और बालकृष्ण की ओर से दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हरिद्वार की ओर से उन्हें जारी सम्मन को रद्द करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि शिकायत में दावे के झूठा होने संबंधी कोई सबूत नहीं था और न ही इस तरह का कोई विवरण था कि यह भ्रामक कैसे थे। जस्टिस विवेक भारती शर्मा ने हाल में सेवानिवृत्ति से पूर्व यह निर्णय दिया था जिसे कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता फर्म को केवल पत्र लिख कर विज्ञापन को यह बताए बिना हटा दिए जाने का निर्देश दिया जाना कि विज्ञापनों में किया गया दावा गलत था, याचिकाकर्ता फर्म पर मुकदमा चलाने का कारण नहीं बनता है, जबकि विज्ञापन के मिथ्या होने के बारे में विशेषज्ञों की कोई रिपोर्ट न हो। कोर्ट ने कहा कि 2023 से पहले की घटनाओं के संबंध में दायर शिकायत समय-वर्जित (टाइम बार्ड) भी हो चुकी थी।