बड़ी खबरः सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई सैन्य अधिकारी को लगाई फटकार! कहा- भारतीय सेना में आपके लिए जगह नहीं, जानें क्या है पूरा मामला?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को आर्मी के एक पूर्व ईसाई अफसर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। अफसर पर आरोप था कि उन्होंने अपने तैनाती स्थल पर रेजिमेंट की धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से इनकार किया था। इसके बाद आर्मी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जो सैनिक अपने धार्मिक विश्वास के नाम पर गुरुद्वारे में प्रवेश करने से इनकार कर दे, वह भारतीय सेना की धर्मनिरपेक्ष परंपरा और अनुशासन के लिए उपयुक्त नहीं है।
दरअसल यह मामला 2017 का है। अफसर सैमुअल कमलेसन थर्ड कैवेलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बने। उनकी यूनिट में मंदिर और गुरुद्वारा था, जहां हर हफ्ते धार्मिक परेड होती थी। वे अपने सैनिकों के साथ वहां तक जाते थे, लेकिन मंदिर के सबसे अंदर वाले हिस्से में पूजा, हवन या आरती के दौरान जाने से मना करते थे। उनका कहना था कि उनकी ईसाई मान्यता इसकी अनुमति नहीं देती और उनसे किसी देवी-देवता की पूजा करवाना गलत है। अफसर का आरोप था कि एक कमांडेंट लगातार उन पर दबाव डालता था और इसी वजह से मामला बढ़ा। दूसरी ओर सेना ने कहा कि उन्होंने कई बार समझाने के बाद भी रेजिमेंटल परेड में पूरी तरह हिस्सा नहीं लिया, जो स्पष्ट रूप से अनुशासनहीनता है। लंबे समय तक चली जांच और सुनवाई के बाद उन्हें 2021 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वह किस तरह का संदेश दे रहे हैं? एक सैन्य अधिकारी द्वारा घोर अनुशासनहीनता। उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था। इस तरह के झगडालू व्यक्ति सेना में रहने के हकदार हैं। मुख्य न्यायाधीश कांत ने कहा कि चूंकि रेजिमेंट में सिख सैनिक थे, इसलिए उस जगह एक गुरुद्वारा भी था। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा सबसे धर्मनिरपेक्ष स्थानों में से एक है। जिस तरह से वह व्यवहार कर रहे हैं, क्या वह अन्य धर्मों का अपमान नहीं कर रहे हैं? उनका धार्मिक अहंकार इतना ज्यादा है कि उन्हें दूसरों की परवाह ही नहीं है।