Awaaz24x7-government

Big Breaking: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! कहा- ‘खनिजों पर लगने वाला टैक्स नहीं माना जा सकता रॉयल्टी’, जानें राज्यों को क्या होगा फायदा

Big Breaking: Big decision of the Supreme Court! Said- 'Tax on minerals cannot be considered as royalty', know what will be the benefit to the states

नई दिल्ली। खनिज पर टैक्स को लेकर चले आ रहे विवाद के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केन्द्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने 8ः1 के बहुमत से यह फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि संसद के पास संविधान के प्रावधानों के तहत खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की शक्ति नहीं है। अलग-अलग राज्य सरकारों और खनन कंपनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 86 याचिकाएं पहुंची थीं। इसमें कोर्ट को यह तय करना था कि मिनरल्स पर रॉयल्टी और खदानों पर टैक्स लगाने के अधिकार राज्य सरकार को होने चाहिए या नहीं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 दिनों तक सुनवाई चली। CJI ने कहा है कि माइंस और मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट (MMDR) राज्यों की टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदानों की जमीन पर टैक्स वसूलने का पूरा अधिकार है।

बता दें कि यह मामला 1989 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के बीच यह मामला कोर्ट में था। इस मामले में सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स ही है। इसके बाद खनन कंपनियों, PSU और अलग-अलग राज्यों की ओर से 86 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। 2004 में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस मामले में 5 जजों की बेंच ने कहा कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था उसे गलत समझा गया। कोर्ट ने कहा का रॉयल् को टैक्स नहीं माना जा सकता है। 1989 और 2004 के फैसलों में विरोधाभास के कारण मामले एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल्टी से जुड़े मामले को 9 जजों की बेंच को सौंप दिया।