Big Breaking: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट नाराज! कहा- कोई दोषी भी है तो भी घर नहीं गिराया जा सकता, उठाए गंभीर सवाल

Big Breaking: Supreme Court angry over bulldozer action! Said- Even if someone is guilty the house cannot be demolished, raising serious questions

नई दिल्ली। अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना ठीक नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर कोई आरोपी है तो उसका घर कैसे गिराया जा सकता है। और अगर वह दोषी है तो भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि अगर दोष साबित हो जाए तब भी घर गिराने की कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह सार्वजनिक सड़कों को बाधित करने वाले किसी भी अवैध ढांचे को संरक्षण नहीं देगा।

कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव देने को कहा ताकि शीर्ष अदालत अचल संपत्तियों के विध्वंस से संबंधित मुद्दे पर पूरे देश के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है। अदालत ने शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को स्वीकार किया और कहा कि अपराध में दोषी साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, वे अवैध कब्जे या निर्माण के कारण निशाने पर हैं, न कि अपराध के आरोप की वजह से। जमीयत उलेमा ए हिन्द ने याचिका दाखिल कर सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में 'बुलडोजर जस्टिस' की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की गई थी।