इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की हल्द्वानी शाखा द्वारा जागरूकता सेमिनार आयोजित! सरकारी सब्सिडी एवं योजनाओं की दी जानकारी, जानें क्या है एमएसएमई?

हल्द्वानी। इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की हल्द्वानी शाखा द्वारा हैडिया टावर हल्द्वानी ब्रांच में जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) से सम्बंधित सरकारी सब्सिडी, नीतियां एवं ॠण योजनाओं की जानकारी दी गयी। हल्द्वानी आईसीएआई ब्रांच की मैनेजिंग कमिटी द्वारा आयोजित इस जागरूकता सेमिनार में एमएसएमई क्षेत्र से जुडी हुई योजनाओं, समस्याओं तथा अन्य पहलुओं पर चर्चा की गयी। सेमिनार के स्पीकर सीए प्रतीक आहूजा ने विस्तार से सभी सम्बंधित विषय पर जानकारियां दीं, जिसमें उत्तराखंड के उद्योगों से सम्बंधित पहलुओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया। ब्रांच की मैनेजिंग कमिटी द्वारा यह बताया गया कि एमएसएमई देश की अर्थव्यवथा की रीढ़ है। चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एवं उद्योग आपस में मिलकर यदि एमएसएमई इकाइयों को सशक्त बनाने में योगदान दें तो आत्मनिर्भर भारत का सपना शीघ्र साकार हो सकता है। यह सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार देता है, आयात-निर्यात तथा निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। इस मौके पर सीए रोहित नौला, मोहित देव, चेतन प्रकाश खुराना, बलजीत सिंह कलसी, अंकित प्रताप सिंह, लव मित्तल, सरोज आनंद जोशी, संजय गुप्ता, दिग्विजय सिंह, जय प्रकाश अग्रवाल, सुनील झावर तथा अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
क्या है एमएसएमई?
जानकारों के मुताबिक एमएसएमई क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख चालक बन गया है, जो उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है और कम पूंजी निवेश के साथ महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करता है। यह देश के समावेशी औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, सहायक इकाइयों के रूप में बड़े उद्योगों का पूरक बनता है। एमएसएमई का मतलब है सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम। एमएसएमई ऐसे व्यवसाय हैं जो वस्तुओं और वस्तुओं का उत्पादन, प्रसंस्करण और संरक्षण करते हैं। इन्हें विनिर्माण के लिए संयंत्र और मशीनरी या सेवा उद्यमों के लिए उपकरणों में उनके निवेश के साथ-साथ उनके वार्षिक कारोबार के आधार पर मोटे तौर पर वर्गीकृत किया जाता है।