अहमदाबाद प्लेन क्रैश:जहां हैवी ट्रैफिक से पूरी दुनिया परेशान है वहीं एक यात्री की इसी ट्रैफिक की वजह से बच गई जान!खबर में पढ़ें कौन है वो खुशनसीब यात्री जिसकी फ्लाइट ही छूट गई?

गुजरात के अहमदाबाद में आज दोपहर हुए भयावह प्लेन क्रैश में मरने वालों की संख्या 242 यात्रियों की पुष्टि हुई है, वहीं फ्लाइट AI :171 में जहां सीट नंबर 11A में बैठे यात्री राकेश विश्वास जिंदा बच गए ,उनके अलावा एक और यात्री ऐसी थीं,जिसकी टिकट इसी प्लेन की बुक थी,और प्लेन क्रैश के बाद भी वो जिंदा बच गई।
दरअसल अहमदाबाद की रहने वाली भूमि चौहान भी लंदन जाने वाले यात्रियों में शामिल थीं, लेकिन कुछ मिनटों से उनकी फ्लाइट छूट गई थी। उनकी जान बचाने में सबसे बड़ा हाथ अहमदाबाद के व्यस्त ट्रैफिक का रहा,अहमदाबाद के हैवी ट्रैफिक ने उन्हें बचा लिया। ट्रैफिक में फंसने के कारण वह 10 मिनट की देरी से सरदार बल्लभभाई एयरपोर्ट पहुंची थीं। इसके बाद उन्हें अहमदाबद लंदन की फ्लाइट में बोर्डिंग की इजाजत नहीं मिली। मीडिया से बातचीत में भूमि चौहान ने बताया कि फ्लाइट के टेकऑफ के लिए 1:10 बजे का समय शेड्यूल था।
भूमि चौहान ने मीडिया को बताया कि इस हादसे की सूचना के मिलने के बाद वह बुरी तरह से कांप गईं,पैर हिलने लगे। काफी देर तक वह सदमें रहीं।सिर्फ 10 मिनट लेट होने के कारण उनकी फ्लाइट छूट गई थी। भूमि ने बताया कि जब वह दुखी होकर एयरपोर्ट से एग्जिट गेट पर पहुंची तब उन्हें पता चला कि जिस फ्लाइट को उन्होंने मिस किया है, वह क्रैश हो गया है।
आपको ये भी बता दें कि उसी प्लेन में दो घंटे पहले सफर कर चुके यात्री आकाश वत्स ने इस दुर्घटना के बाद मीडिया को बताया कि “मैं उसी विमान में 2 घंटे पहले था। कुछ तकनीकी गड़बड़ी दिखी थी। मैंने वीडियो भी बनाया। एयर इंडिया मुझसे संपर्क करे।"
यानी प्लेन में गड़बड़ी की जानकारी पहले ही पता चल गई थी। एयर इंडिया ने मीडिया को बताया कि फ्लाइट ने 1.39PM पर उड़ान भरी थी और तीन बार के मेडे कॉल के बाद संपर्क टूट गया। मेडे कॉल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आपातकालीन संकेत है. इसका उपयोग हवाई और समुद्री यातायात के दौरान उपयोग किया जाता है. इमरजेंसी होने पर तीन बार 'मेडे, मेडे, मेडे' कहकर के सूचना दी जाती है, जिसका अर्थ है "मेरी मदद करो।