उत्तराखण्ड के इतिहास में अनोखी घटना! नैनीताल जिला पंचायत चुनाव मामले को लेकर हंगामा, सीएम के कार्रवाई के निर्देश और रातभर सदन में विपक्षी विधायकों का धरना! गरमाया सियासी माहौल

देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन जहां सदन में खासा हंगामा हुआ, वहीं विपक्षी विधायकों के सदन में रात गुजारने के मामले ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया। दरअसल, मंगलवार को विधानसभा का मॉनसून सत्र गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में शुरू हुआ। इस दौरान विपक्ष ने नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के साथ हुई धक्का-मुक्की और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बहस की मांग की, लेकिन सरकार सदन को पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार चलाने लगी। इस पर सत्र शुरू होते ही कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसके चलते सत्र की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा। मंगलवार शाम सवा चार बजे जब सदन चलाना मुश्किल हो गया तो विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सदन की कार्यवाही को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री तो सदन से चले गए, लेकिन विपक्ष के विधायक वहीं डटे रहे। इस दौरान वो सदन के अंदर धरना देते रहे। इसके बाद देर शाम विपक्ष और सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के साथ वार्ता हुई। करीब 40 मिनट चली ये वार्ता भी विफल हो गई। लंबी वार्ता के बाद भी कोई हल नहीं निकला। अपनी मांग पर अड़े कांग्रेस विधायक वापस सदन में लौट गए।
नैनीताल जिला पंचायत चुनाव बवाल मामले में सीएम का एक्शन, सीओ-थानाध्यक्ष पर कार्यवाही के निर्देश, सीबीसीआईडी करेगी जांच
इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल तल्लीताल के धानाध्यक्ष का जिले से बाहर ट्रांसफर करने के निर्देश दिए। साथ ही बेतालघाट में चुनाव के दिन हुई फायरिंग के मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी भवाली का तबादला भी जिले से बाहर करने के निर्देश दिए। सीएम ने नैनीताल और बेतालघाट दोनों की घटनाओं की विस्तृत मजिस्ट्रेट जांच कुमाऊं मंडल दीपक रावत को सौंपते हुए पंद्रह दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि नैनीताल एवं भवाली में हुई घटनाओं तथा इस दौरान दर्ज समस्त प्राथमिकी की विस्तृत जांच अब सीबीसीआईडी द्वारा की जाएगी। लेकिन इससे भी विपक्ष पर असर नहीं पड़ा।
विपक्षी विधायकों से फोन पर की बात
फिर मुख्यमंत्री धामी ने की विपक्षी नेताओं से फोन पर बात की। मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह से फोन पर बातचीत कर उनकी मांगों को लेकर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जो भी मांगें हैं, उन पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने दोनों नेताओं से धरना समाप्त करने और विधायक आवास पर लौटने की अपील की। लेकिन विपक्षी विधायक अपनी मांगों पर अड़े रहे। इसके बाद विपक्षी विधायक रातभर सदन के अंदर रहे। विधायकों ने बाकायदा रजाई कंबल मंगवाकर सदन में ही बिस्तर लगाया। बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब विपक्ष के विधायक रात भर धरना देने के लिए सदन के अंदर रहे। इसको लेकर अब प्रदेश की सियासत गरमाती हुई नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।