259 सरकारी विद्यालयों में लटक गए ताले जबकि 669 विद्यालय बन्दी की कगार पर खड़े

उत्तराखण्ड के सरकारी स्कूलों में हर साल घटती छात्र संख्या और बन्द होते सरकारी स्कूल शिक्षा व्यवस्था और इसके स्तर पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं, 10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों पर हर साल ताले लटक रहे हैं, जो शिक्षा को हाईटेक बनाने वाले सरकारी दावों की पोल भी खोल रहे हैं।
प्रदेश में सरकारी शिक्षा हर साल दम तोड़ती नजर आ रही है मूलभूत सुविधाओं के अभाव में शिक्षा स्तर और पलायन की मार हर साल छात्र संख्या घटा रही है, जो सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है| बात पौड़ी जनपद की करें तो यहाँ वर्ष 2001 से अब तक प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल मिलाकर कुल 259 स्कूल घटती छात्र संख्या के कारण बन्द करने पड़े हैं, जिन पर अब ताले लटक चुके हैं| स्कूलो में लटके ये ताले मानो शिक्षा विभाग और सरकार को शिक्षा व्यस्था को सुधारने के लिए हर साल चिड़ा रहे हो 259 स्कूलों के बन्द होने के बाद 669 प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल भी घटती छात्र संख्या के कारण बन्दी की कगार पर खड़े हैं, जिनमें से अधिकतर स्कूलो में तो नेपाल मूल के बच्चे ही पढ़ रहे हैं, तो वहीं कई स्कूल में भोजन माताओ के बच्चे| इन स्कूलो में भी छात्र संख्या 10 से कम हो चुकी है घटती छात्र संख्या के कारण इस साल भी शिक्षा विभाग को 28 स्कूलो में ताले जड़ने पड़े हैं| जबकि इन स्कूलो में पढ़ रहे गिने चुने छात्र छात्राओ को नजदीकी सरकारी विद्यायल में मर्ज करना पढ़ा है|स्कूलो के बन्द होने की एक वजह पलायन भी है जहाँ गांव के गॉव खाली होने के बाद खण्डर भवन और बन्द सरकारी स्कूल ही बचे रह गए हैं वहीँ शिक्षा विभाग की मानें तो 10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलो को बन्द करने की एक वजह सरकार की ये भी रही है कि यहाँ पढ़ रहे गिने चुने छात्र पर लगे शिक्षक मोटी तनख्वाह लेकर 1 से 2 छात्रों का ही भविष्य सवार रहे थे जिन्हें अब शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में नियुक्त किया जायेगा जबकि छात्रों को नजदीकी सरकारी विद्यालयों में मर्ज किया जायेगा| सरकारी स्कूलो में कम फीस पर भी छात्रों के दाखिले निजी स्कूलो की महंगी फीस के बावजूद बढ़ना सरकारी शिक्षा व्यवस्थाओ की हालत को भी दर्शाता है ऐसे में शिक्षा विभाग भी अब सिर्फ इन स्कूलो के बन्द होने और इनकी रिपोर्ट शासन को भेजने तक ही सिमट कर रह गया है।