विशेष:उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के शिकार होते मरीज़ और स्वास्थ्य विभाग लाचार अभी तक उपलब्ध नही है दवा
उत्तराखंड 21 मई 2021: सिस्टम की लापरवाही कहे या बेबसी ? जो भी है लेकिन एक कड़वा सच ये है कि आज उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मरीजो के लिए राज्य सरकार के पास एंटी फंगल इंजेक्शन नही है जिसकी वजह से आज एम्स ऋषिकेश हल्द्वानी सुशीला तिवारी,कृष्णा नर्सिंग होम और अन्य अस्पतालों में मरीजो की हालत बिगड़ती जा रही है।
आज बृहस्पतिवार शाम 6 बजे तक एम्स ऋषिकेश में
म्यूकरमायकोसिस के कुल 46 केस आ चुके थे। जिनमें से दो लोगों की मृत्यु पूर्व में
हो चुकी है और एक मरीज को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। उपचार के दौरान
एक अन्य रोगी अल्मोड़ा निवासी 69 वर्षीय पुरुष की बुधवार की देर रात मृत्यु हो गई।
अब एम्स में म्यूकोरमाइकोसिस के 42 रोगी भर्ती हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि
उत्तराखंड की तीरथ सरकार ब्लैक फंगस के इलाज़ के लिए एसओपी जारी करती है लेकिन अस्पतालों
में इंजेक्शन अभी तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे है आखिर क्यों? , बीजेपी के तमाम बड़े नेता कोरोना वैक्सीन केंद्र का
उद्घाटन लगातार करते आ रहे है रोज समाचार पत्र उद्घाटनों से भरे पड़े है लेकिन जमीनी
हकीकत में मात्र कुछ घंटो में वैक्सीन खत्म हो जाती है और जनता को घंटों लाइन में खड़े
रहने के बाद घर वापस लौट आना पढ़ता है ।
चप्पा चप्पा भाजपा की जगह आज चप्पा चप्पा मौत ही नाचती हुई प्रतीत हो रही है ।आवाज़24x7इंडिया ने जब संबंधित विभाग के ज़िम्मेदार व्यक्तियों से बात की तो मालूम चला कि आज राज्य में एंटी फंगल इंजेक्शन है ही नही।महानिदेशक स्वास्थ्य पंकज पांडे से दूरभाष वार्ता के अनुसार उन्होने केंद्र को सूचित किया है कि वर्तमान में राज्य सरकार के पास इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है ।उन्होंने ये भी कहा कि जब केंद्र सरकार भेजेगा तब ही कुछ हो पाएगा वही अधिकतर अधिकारियों का फोन नहीं उठता ,यहाँ तक पद्म श्री एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत जो लगातार मीडिया की सुर्खियों में ही नजर आते है उनका भी कोई बयान सामने नहीं आता है और न ही फोन उठाकर मीडिया से मुखातिब होते है ।यही हाल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निजी सचिव केके मदान का है फोन ही स्विच ऑफ करके बैठे है । ऋषिकेश एम्स के पदाधिकारी मीडिया को समझा समझा कर थक चुके है। आखिर क्या चल रहा है उत्तराखंड में ? राजनीति भी एक बेहतर समाज के लिए ही की जाती है समाज को खत्म करने के लिए नहीं शायद ये बात इन नेताओं की डिक्शनरी में नहीं है।राज्य सरकार के पास एंटी फंगल इंजेक्शन है नही,इंजेक्शन उपलब्ध होना एक सरकारी काम बन चुका है और सभी जानते है कि सरकारी कामो में कितनी लेट लतीफी होती है आज मेल किया तो कल परसों तक तो मेल चेक भी नही होगी,फिर चेक हो गयी तो आगे और कितनी प्रोसेज से फाइल आगे पहुंचेंगी कुछ कह नही जा सकता उधर मरीज का फंगस ये सब कहाँ जनता है वो तो स्पीड से बढ़ेगा और टाइम पर इंजेक्शन नही मिला तो मरीज के अंगों को काटना पड़ जायेगा ज़्यादा ही स्थिति ख़राब होने पर मरीज सांसों की भीख मांगता हुआ दम तोड़ देगा।उधर केंद्र सरकार कौन से नशे में है जो सोई हुई है ये कोई नही जानता इधर उत्तराखंड की सरकार भी उदासीन है क्योंकि जब उत्तराखंड में ब्लैक फंगस का पहला मामला आया था तभी सरकार को केंद्र से एंटी फंगल इजेक्शनों की मांग करनी चाहिए थी आजकल सोशल मीडिया का फ़ास्ट ज़माना है शुरुआत में ही एंटी फंगल इजेक्शनों की कालाबाज़ारी की चर्चाएं शुरू हो गयी थी तब भी राज्य सरकार सोती रही एक के बाद एक ब्लैक फंगस के मरीज सामने आने लगे और उनके लिए अस्पतालों में इंजेक्शन ही नही है इसके लिए कौन जिम्मेदार है कौन लापरवाह है?
ऋषिकेश एम्स में भर्ती एक मरीज के तीमारदार से
आवाज़24x7इंडिया ने जब
बात की तो मालूम हुआ कि 19 मई को उन्होंने एंटी फंगल इजेक्शनों के लिए फॉर्म भरा
था जिसमे एचओडी के हस्ताक्षर होने थे अब तक उन्होने उस फॉर्म पर हस्ताक्षर नही किये उधर उनके मरीज
में फंगस फैलता ही जा रहा है डॉ ने तीमारदारों से स्पष्ट कह दिया है कि आप मानसिक
रूप से तैयार रहिए आपके मरीज की आंख भी निकालनी पड़ सकती है। ऐसे में अगर मरीज के
साथ कुछ हो जाये तो ज़िम्मेदारी किसकी होगी ?
हालात इतने बुरे है कि लोग अब कोरोना से कम और ब्लैक फंगस से ज़्यादा डरने लगे है। सिर्फ उत्तराखंड ही नही भारत के कई राज्यों में म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फ़ंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एक एंटी फ़ंगल दवा की कमी पड़ गई है।एम्फ़ोटेरिसिन बी नाम की ये दवा भारत की कई कंपनियाँ बनाती हैं, लेकिन अब इन इजेक्शनों की ब्लैक मार्केटिंग की जा रही है।
आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच अब म्यूकरमायकोसिस के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं और सोशल मीडिया में इस दवा के लिए इमरजेंसी अपील की जा रही है। डॉक्टरों
का कहना है कि कोरोना के गंभीर मरीज़ों में स्टेरॉयड्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण
ये संक्रमण होता है,म्यूकरमायकोसिस
एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है, ये
म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता
है।
आज इस ख़तरनाक बीमारी की वजह से मरीजो की सिसकती हुई ज़िन्दगी सिर्फ सरकार पर टिकी हुई है कि जब सरकार इंजेक्शन उपलब्ध करवाएगी तब जाकर उनकी ज़िंदगी बच पाएगी बाकी कालाबाज़ारी करने वाले न जाने किस दिन के लिए इन इजेक्शनों को अपने गोदामों में भर कर रखे हुए हैं।