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उत्तराखंड पोल खोल : कष्ट से मर रहा कस्टमर, वर्षों से खाली पड़े है उपभोक्ता फोरम के पद, कोई सुनवाई नहीं

उत्तराखंड में राज्य समेत सभी 13 जिलों में भले ही नये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत जिला उपभोक्ता फोरम 20 जुलाई 2020 से जिला उपभोक्ता आयोग बन गए लेकिन आज भी इसमें कई पद रिक्त पड़े है रोजगार के नाम पर उत्तराखंड सरकार लाख दावे कर ले परन्तु ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। नए उपभोक्ता आयोग बन ज़रूर गए यहाँ तक कि इन आयोग को एक करोड़ तक के विवादों के निपटारे की शक्तियां भी मिल गयी ,और राज्य आयोग को एक करोड़ से दस करोड़ तक की शक्तियां मिल गयी है लेकिन राज्य और हरिद्वार को छोड़ सभी जिलों में सदस्य ,महिला सदस्य और अध्यक्ष के पद रिक्त पड़े है जिसकी वजह से राज्य के लोगो को इस आयोग का पूर्ण लाभ नही मिल पा रहा है। उत्तराखंड के उपभोक्ता फोरम द्वारा जारी 2 दिसम्बर 2020 को जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य उपभोक्ता आयोग में-

1.पिथौरागढ़ में महिला सदस्य का पद 2/4/2018 से रिक्त है,

2.देहरादून में महिला सदस्य का पद 27/05/2019 से रिक्त है,

3.टिहरी गढ़वाल में 21/9/2019 से महिला का पद रिक्त है,

4.उत्तरकाशी में पुरुष का पद 16/4/2019 और महिला का पद 25/9/2019 से रिक्त है,

5.पौड़ी गढ़वाल में 18/11/2019 से महिला सदस्य का पद रिक्त है,

6.चंपावत में पुरुष सदस्य का पद 24/4/2019, से रिक्त है ,

7.चमोली में महिला सदस्य का पद 9/1/2020 से रिक्त है,

8.नैनीताल में पुरुष सदस्य का पद 15/04/2020 से और महिला सदस्य का पद 17/4/2019 से रिक्त है,

उधमसिंह नगर में अध्यक्ष का पद 1/4/2019 से और महिला सदस्य का पद 12/9/2019 से रिक्त है,

अल्मोड़ा में पुरुष सदस्य का पद 16/4/2019 से ,और महिला सदस्य का पद 25/9/2019 से रिक्त है,

रुद्रप्रयाग में पुरुष सदस्य का पद 9/1/2018 से, महिला सदस्य का पद 23/10/2018 से रिक्त है,

राज्य उपभोक्ता आयोग उत्तराखंड में पुरुष सदस्य का पद  01/08/2019 से रिक्त पड़ा हुआ है और महिला सदस्य का पद 17/07/2019 से रिक्त पड़ा है

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राज्य के इन जिलों में इतने पद रिक्त होने से राज्य आयोग /फोरम नही चल रहा है ,इनमें से कुछ जिलों के अध्यक्ष या बचे हुए सदस्यों इन कार्यकाल पूर्ण होने पर ये पद भी रिक्त हो जाएंगे ,पहले से ही रिक्त पदों पर नियुक्तियां अभी तक नही हुई और जो पद रिक्त होने वाले है उन पदों पर भी सरकार के उदासीन रवैये की वजह से नियुक्तियों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

आपको बता दें कि नए उपभोक्ता फोरम के 20 लाख से एक करोड़ तक के उपभोक्ता मुकदमें निपटारे के अधिकार को बढ़ाकर एक करोड़ से लेकर दस करोड़ तक कर दिया गया है इसके लिए उपभोक्ता उत्तराखंड में ही आयोग में अपनी मुकदमें दर्ज करवा सकते हैं उपभोक्ता एक्ट के अंतर्गत धारा 34(2) के प्रावधान से उपभोक्ता उस जिले में भी मुकदमा दर्ज करवा सकता है जहाँ वह रहता हो अथवा रोजगार करता हो,पहले उपभोक्ता फोरम में विपक्षी के स्थान या वाद की वजह उतपन्न होने वाले जिले में ही करवाया जा सकता था।उत्तराखंड में 20 जुलाई 2020 में बने नए उपभोक्ता आयोग बनने के बाद भी सदस्यों और अध्यक्ष पद रिक्त है ये सरकार की अनदेखी और उदासीनता को दर्शाता है ।