उत्तराखंड:हर घर नल हर नल में जल योजना तो शुरू हुई लेकिन नलों में जल की बूंद तक नहीं!नेताओ के वादे खोखले,सरकार की योजना फेल,पेयजल संकट से जूझते लोग,नेता अधिकारी सब मस्ती में!

उत्तराखंड:6/11/2022
यूँ तो देश की सबसे बड़ी नदियां गंगा यमुना और इनकी अधिकांश सहायक नदियां उत्तराखंड के ग्लेशियरों से ही निकलती है जो उत्तराखंड सहित नार्थ इंडिया के तमाम हिस्सो में पेयजल आपूर्ति करती है लेकिन बावजूद इन नदियों के उत्तराखंड के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पेयजल समस्या बनी हुई है। हर घर नल और हर नल में जल योजना भी आज फेल साबित हो रही है। चुनावी प्रचार में हर नेता ग्रामीणों की जल समस्या को दूर करने के बड़े बड़े वादे करते है लेकिन चुनाव निबट जाने के बाद नेता गायब हो जाते हैं।
इसी वर्ष 22 मार्च को वर्ल्ड वाटर डे पर देहरादून में एक सेमिनार को सम्बोधित करते हुए, डायरेक्टर जनरल यूकॉस्ट डॉ. राजेंद्र डोभाल ने बताया था कि उत्तराखंड राज्य में पानी की कमी नहीं है बल्कि सही प्रकार से पानी का प्रबंध नहीं हो पाने के कारण जनता के सामने पीने के पानी की समस्या बनी हुई है, उत्तराखंड राज्य में जल जीवन मिशन के तहत चलने वाली हर घर जल योजना में शायद ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है जहां घरों में नल तो लगे है लेकिन नलों में पानी नहीं है।
कुछ ग्रामीण इलाकों में एक एक महीना हो जाता है और पानी की किल्लत से जूझते हुए ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस करते है। मुक्तेश्वर हरिनगर नथुवाखान में पंद्रह दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप है, जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ,ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है, नथुवाखान पेयजल लिफ्टिग योजना में तकनीकी दिक्कत के कारण सप्लाई प्रभावित हो रही है । लगातार शिकायत के बाद भी इलाके में पेयजल आपूर्ति सुचारू नहीं की जा रही है । ग्रामीणों ने पेयजल आपूर्ति सुचारू न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।
वहीं नैनीताल के समीपवर्ती भवाली में भी भूमियाधार वार्ड के लल्ली मंदिर कंपाउंड में पिछले एक हफ्ते से पानी की किल्लत से परेशान महिलाओं ने जल संस्थान कार्यालय का घेराव किया।उन्होंने कहा कि बार बार गुहार लगाने के बाद जब समस्या का समाधान नही हुआ तो वे लोग यहां सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि जब तक पाइपलाइन को दुरुस्त नहीं किया जाता, तब तक उन्हें टैंकरों से आपूर्ति दी जाए।
धारी ब्लॉक के भी कई गांवों में पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है। पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि सरगाखेत, लेटीबुंगा, शशबनी, मनाघेर, अघरिया, बुराशी, हरिनगर अक्सोड़ा के होटलों को ग्रामीणों के हिस्से का पानी सप्लाई हो रहा है। जिस पर विधायक ने मुख्य विकास अधिकारी से जल संस्थान के अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए पेयजल व्यवस्था सुचारू करने को कहा। ब्लॉक प्रमुख ने कहा बिल्डर अंधाधुंध पानी का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए पेयजल को लेकर सख्त नीति बनाई जाए। सीडीओ डॉ. संदीप तिवारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि जहां भी अवैध कनेक्शन किए गए हैं उनकी जांच होगी। साथ ही होटलों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था को भी देखा जाएगा।
आपको बता दें कि हर घर जल परियोजना जिसकी घोषणा 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लालकिले की प्राचीर से की गयी। इस योजना के अनुसार देश के सभी ग्रामीण इलाक़े के घरो तक 55 लीटर तक प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी पहुंचाया जाना है। अगर उत्तराखंड राज्य की बात करें तो खबर लिखे जाने तक जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 15,18,115 परिवार हैं जिनमें से 15 अगस्त 2019 तक मात्र 1,30,325 परिवारों के घर में पानी की सुविधा थी, लेकिन वर्तमान में जल जीवन मिशन के तहत आज 9,34,259 घरों में नल लग चुके हैं जो राज्य के कुल ग्रामीण परिवारों का 61.54 प्रतिशत है। जल जीवन मिशन के तहत सबसे ज़्यादा देहरादून जिले में 94.89 प्रतिशत घरो में नल लग चुके हैं और हरिद्वार जिले में सबसे कम 39.06 प्रतिशत, लेकिन यहां पर सवाल है कि क्या ये 61.54 प्रतिशत ग्रामीण परिवार हर घर जल योजना का लाभ उठा रहे है?
चुनावी रैलियों में, सभाओं में,प्रचार प्रसार के दौरान बड़े बड़े नेता हाथ मे घोषणापत्र लिए जनता को मूर्ख बनाते है,और कहते है जल,बिजली,सड़क,शिक्षा, सुरक्षा, प्राथमिकता होगी लेकिन ज़मीनी हकीकत देखकर लगता है कि चुनावी वादे महज एक झुनझुना था जो जनता के हाथ पकड़ा कर वोट बटोरने का काम नेताओ ने किया।
जिन गावों में नलों को पानी के स्रोतों से जोड़ा गया है वहां भी पानी की समस्या है,मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल जिला मुख्यालय सटे ग्रामीण क्षेत्र,हल्द्वानी के कई इलाकों ,भीमताल, भवाली के ज़्यादातर लोगो का कहना हैं- “घरो में नया नल तो लगा है लेकिन पानी का स्रोत वही पुराना है प्रत्येक घर में नल होने से लोग इस पानी का इस्तेमाल अपने घर के कामों के साथ-साथ घर के आस पास के खेतों की सिंचाई के लिए भी करने लगे हैं, जिसके कारण पानी की खपत और बढ़ी है पर जल आपूर्ति नहीं, यह एक नयी समस्या आज हमारे गांव के लोगो के सामने खड़ी है, हमारे गांव के नलों में पानी की मात्रा इतनी कम हो चुकी है कि यदि हमारे नल से पहले कोई अपना नल चालू कर दे, तो हमारे नल में पानी नहीं आता और यदि हम अपना नल चालू कर दे तो हमसे ऊपर वाले घर के नल में पानी नहीं आता है’’।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के बारे में यह जानना भी जरुरी है कि गर्मी बढ़ने के साथ जलस्त्रोतों में पानी की मात्रा बड़ी तेजी से घटती जाती है। गदेरे (नहर), झरने और धाराएं ही प्राचीन समय से पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों की पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करते आये हैं लेकिन पिछले कुछ समय से पानी के इन स्त्रोतों में पानी की निकासी लगातार घटी है। इन क्षेत्रों में किये गए तमाम शोध भविष्य में आने वाले पेयजल संकट की ओर इशारा करते हैं।
कई शोधार्थी राज्य बनने के बाद से पेयजल की स्थिति पर लगातार शोध कर रहे हैं। ये सभी शोध भविष्य में गंभीर पेयजल संकट की ओर इशारा करते हैं। इसलिए हमें अपने प्राकृतिक जल स्त्रोतों सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।" शोधकर्ताओं ने कहा कि जल स्त्रोतों के घटते जल स्तर के लिए ग्लोबल वार्मिंग के साथ पहाड़ों में अनियोजित रूप से बन रही सड़कें, निर्माण कार्यों के लिए किये जाने वाले विस्फोटों के साथ पहाड़ों में बढ़ता चीड़ का जंगल जिम्मेदार है। हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों को सुरक्षित रखने के लिए जरुरी कदम उठाने होंगे। जिसके लिए हमारे द्वारा पानी की डिस्चार्ज की कमी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों पर काम किया जा रहा है।
कारण चाहे जो भी रहे हों पानी की समस्या उत्तराखंड राज्य में होने वाले पलायन के मुख्य कारणों में से एक है। आज भी पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों को, अपने घरों से दूर स्थित पानी के स्रोतों से पानी लाते हुए बहुत आसानी से देखा जा सकता है जिस कारण तमाम तरह की समस्या का सामना पहाड़ में रहने वाली महिलाओं को करना पड़ता है। हर घर जल योजना पहाड़ में रहने वाली इन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा यदि कार्य दायी संस्थायें इस परियोजना को पहाड़ की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाये।