उत्तराखण्डः विधानसभा सत्र बीच में ही स्थगित किए जानें पर चढ़ा विपक्ष का पारा! नेता प्रतिपक्ष आर्य ने सरकार पर लगाए आरोप, कार्यमंत्रणा समिति से दिया इस्तीफा

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि उत्तराखण्ड सरकार निष्पक्ष रूप से त्रिस्तरीय चुनावों को संपन्न कराने में बुरी तरह असफल रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, उसके अधिकारियों और पुलिस ने मिलकर राज्य के हर जिले में पंचायत प्रतिनिधियों को डरा, धमकाकर और अगवा कर पंचायतों पर कब्जा किया है। कहा कि 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचायतों को संवैधानिक दर्जा मिला है। सरकार ने पहले तो जानबूझकर पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के 8 महीने बाद भरी बरसात में पंचायत चुनाव करवाए। उन्होंने कहा ये चुनाव इससे पहले सुरक्षित महीनों में करवाए जा सकते थे। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार किसी तरह से पंचायतों पर कब्जा करना चाहती थी। उन्होंने बताया कि पहले प्रधानों, क्षेत्र समिति सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों के पदों पर सत्ता दल के मनमाफिक आरक्षण किया। रोटेशन का प्रथम चरण लागू कर उन सभी वर्गों के लोगों को निराश किया जिनको रोटेशन से इन चुनावों में अपनी सीट आने की संभावना थी। फिर प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी अपने लोगों को पद पर बैठाने के लिए आरक्षण तय किए। उन्होंने कहा कि सरकार के ये कदम संविधान के आर्टिकल 243 का हनन था।
यशपाल आर्य ने कहा कि इन सभी षड्यंत्रों के बाद भी राज्य में हर स्तर की पंचायतों पर भाजपा विरोधी लोगों की जीत हुई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि नैनीताल, बेतालघाट, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और उधम सिंह नगर में पुलिस के संरक्षण में हुई अपराधिक घटनाओं ने देवभूमि उत्तराखण्ड को कुशासन वाले राज्यों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन शर्मनाक घटनाओं के तुरंत बाद हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र से हमें बड़ी आशा थी। पूरा विपक्ष चाहता था कि पंचायत चुनावों में हुई गुंडागर्दी और कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण राज्य मेंसंवैधानिक संकट आया है इसलिए चर्चा नियम 310 के तहत होनी चाहिए। विपक्ष आपदा पर भी नियम 310 के तहत चर्चा चाहता था। यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने यहां भी निराश किया। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के बिना विधानसभा के सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि राज्य के निवासियों की आकांक्षा के प्रतीक गैरसैण में इस सभी विषयों पर नियम 310 में चर्चा होकर कुछ ठोस निष्कर्ष निकले परन्तु सरकार इन गंभीर विषयों को टालना चाहती थी। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार राज्य के सर्वोच्च सदन विधानसभा को भी अपने हिसाब से चलाना चाहती है। बताया कि इन परिस्थितियों में हमारा कार्य मंत्रणा समिति में रहना सार्थक नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधानमंडल की ओर से कार्य मंत्रणा समिति में चुने सदस्य के रूप में उन्होंने और विधायक प्रीतम सिंह ने इस्तीफा देने का निश्चय किया है।