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पंतनगर विवि में आईडी कार्ड विवाद पर बड़ी कार्रवाई, स्टूडियो संचालक का टेंडर रद्द

Major action taken in Pantnagar University over ID card dispute, studio operator's tender cancelled

पंतनगर। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आईडी कार्ड बनवाने को लेकर छात्रों की लगातार शिकायतों और उत्पीड़न के आरोपों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। सोमवार को विश्वविद्यालय ने शॉपिंग सेंटर स्थित मैसर्स मॉडर्न स्टूडियो एंड कलर लैब के संचालक का टेंडर तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। विश्वविद्यालय की पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि छात्रों को परिचय पत्र बनवाने में हो रही असुविधाओं और शिकायतों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। यह टेंडर शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए था, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि छात्रों की सुविधा और सम्मान सर्वोच्च प्राथमिकता है, और भविष्य में आईडी कार्ड प्रक्रिया को सरल व पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय में परिचय पत्र बनवाने की प्रक्रिया में बड़ी मार्केट स्थित मैसर्स मॉडर्न स्टूडियो एंड कलर लैब के संचालक अरशद खान उर्फ पप्पा खान और उनकी पत्नी द्वारा गंभीर लापरवाही और छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार के आरोप सामने आए थे। विश्विद्यालय के कर्मचारी, गिरिजा शंकर शुक्ला ने कुलसचिव को पत्र लिखकर शॉपिंग सेंटर के स्टूडियो संचालक पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि उनके भांजे आर्यन दुबे, बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र ने 12 सितंबर को आईडी कार्ड के लिए शुल्क जमा किया और फोटो खिंचवाया, लेकिन कई दिनों तक आई कार्ड नहीं मिला । स्टूडियो संचालक अरशद खान उर्फ पप्पा खान द्वारा बार-बार बहाने बनाकर छात्र को बुलाया गया, जिससे उसे आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी । शुक्ला ने बताया कि 27 सितंबर को जब उनकी बेटी आर्यन के साथ स्टूडियो पहुंची, तो संचालक की पत्नी ने अभद्र व्यवहार किया और अपमानजनक टिप्पणी की, जिसमें कहा गया, “आजकल के बच्चे इतने नाजुक हैं कि कुछ कहो तो कहीं आत्महत्या न कर लें।” इस टिप्पणी से छात्र को गहरा आघात पहुंचा। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि पिछले वर्ष भी शुक्ला की बेटियों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा था।गिरिजा शंकर शुक्ला ने मांग की कि भविष्य में छात्रों को स्टूडियो पर निर्भर न रहना पड़े और परिचय पत्र सीधे महाविद्यालय के अधिष्ठाता कार्यालय से जारी किए जाएं। छात्रों का कहना है कि आईडी कार्ड जैसी बुनियादी सुविधा में लापरवाही न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस कार्रवाई से छात्रों में उम्मीद जगी है कि भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान होगा और परिचय पत्र प्रक्रिया को और सुगम बनाया जाएगा।