उत्तराखंड: राजधानी देहरादून को कितना जानते है आप?देहरा यानी डेरा और दून वो घाटी जो देहरा से मिलने के बाद कहलाई देहरादून, ऐसी ही और रोचक बातें जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें

Uttarakhand: How much do you know the capital Dehradun? Dehra i.e. Dera and Doon The valley which after meeting Dehra was called Dehradun, click on the link to know more such interesting things.

देवभूमि उत्तराखंड में आप किसी भी जगह चले जाइये आपको हर जगह एक नई अनुभूति होगी, यहां के गांव क्या और शहर क्या सब एक से बढ़कर एक है। आज हम आपको उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के बारे में कुछ रोचक जानकारी देते हैं।देहरादून का इतिहास ब्रिटिश काल का है। यहां की अनोखी जीवनशैली, खूबसूरत परिवेश,अतुलनीय पर्यटन स्थल और प्रतिष्ठित संस्थान पूरे भारत मे प्रसिद्ध हैं। छुट्टियां बिताने के लिए उत्तराखंड की राजधानी एक बेहतर विकल्प है। सन 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड की स्थापना हुई थी और देहरादून अस्थायी राजधानी बनी इसके बाद इस शहर का दायरा निरंतर बढता ही रहा। देहरादून की स्थापना उत्तराखंड बनने से दशकों पहले 18वी शताब्दी के दौरान एक सिख गुरु द्वारा की गई थी, उनका नाम गुरु राम राय था। ऐसा माना जाता है कि सिख समुदाय के अनुयायियों के देहरादून आगमन 1675 में हो गया था। ये वो दौर था जब सिखों के सातवें गुरु गुरु हर राय के बड़े बेटे के देहरादून आने के बाद ही दून का अस्तित्व सामने आया था, देहरादून का नाम अगर आप ध्यान से पड़ेंगे तो आपको समझ आएगा कि देहरा जिसका अर्थ डेरा होता है और दून उस घाटी का नाम है जो देहरा जुड़ने के बाद देहरादून कहलाई। देहरादून पूर्व में गंगा से लेकर पश्चिम में यमुना नदी तक फैला हुआ है।

 

देहरादून 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक अशोक शासन काल के अधीन भी रहा है। इसके प्रमाण देहरादून के कलसी क्षेत्र में 1860 के प्राचीन अवशेष है। 1674 ई से पहले देहरादून को पृथ्वीपुर के नाम से जाना जाता था। 1803 में गोरखों द्वारा देहरादून पर कब्जा कर लिया गया था। उसी वर्ष 14 मई को खुड़बुड़ा देहरादून में गोरखा सेना लड़ते हुए गढ़वाल नरेश प्रद्युम्न शाह वीरगति को प्राप्त हुए थे। 1814 ई में कैप्टन हरसि ने देहरादून को सिर्फ 100 रुपये मासिक लीज पर ईस्ट इंडिया कम्पनी को दे दिया था। 1815 में अंग्रेजों ने गोरखों को भगाकर देहरादून पर खुद कब्जा कर लिया था। 1823 में देहरादून का प्रसिद्ध बाजार पलटन बाजार बना इसका नाम पलटन इसीलिए रखा गया क्योंकि इस बाजार के दोनों तरफ पलटन रहा करती थी।1842 में दून डाक सेवा की शुरुआत हुई थी। 1854 में मिशन स्कूल खोला गया था। देहरादून की नगर पालिका 1867 में बनी थी। 1873 में सहारनपुर रोड और 1892 में रायपुर रोड बनी थी। देहरादून में लोगो को सबसे पहले 1920 में कार देखने को मिली थी तब अंग्रेजों की हुकूमत थी। 1939 तक देहरादून में सिर्फ दो ही कारें थी। 1948 में प्रेमनगर और क्लेमेंन टाउन सिटी बस सेवा शुरू हुई। 1948 से 1953 तक आनंदसिंह ने अपने पिता बलबीर सिंह की याद में घंटाघर बनाया था। 1978 में देहरादून में वायु सेवा की शुरुआत हुई।

 

कहते हैं देहरादून का संबंध महाभारत काल से भी रहा है, तब देहरादून को इस नाम से नही जाना जाता था।  उस काल मे ये पूरी घाटी मात्र जंगल हुआ करती थी। महाभारत महाकाव्य में देहरादून का वर्णन द्रोणनगरी के रूप में मिलता है। द्रोणनगरी मतलब द्रोणाचार्य की नगरी जो पांडवों और कौरवों के गुरु थे। महाभारत ही नही बल्कि रामायण में भी यहां का उल्लेख मिलता है। जब राम लक्ष्मण लंका से वापस आये तब यहां भी उनका आगमन हुआ था, देहरादून में स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर है जहाँ कभी लक्ष्मण ने ध्यान लगाया था। आज देहरादून में उत्तराखंड के दोनों मंडलों के लोग रहते है। यहां कुमाउनी और गढ़वाली के अलावा हिंदी, पंजाबी,इंग्लिश बोलते हैं ।यहां आवासीय इलाकों के नाम धर्मपुर, रेसकोर्स, प्रेमनगर, इंदिरानगर, वसंत विहार, टीएचडीसी कॉलोनी, जाखन, दिलाराम, रायपुर, ओल्ड सर्वे रोड हैं।

 

ज्यादातर लोग शॉपिंग के लिए पल्टन बाजार, इंदिरा मार्केट, राजपुर रोड, क्रॉसरोड मॉल, पैसिफिक मॉल जाना पसंद करते हैं।यहां के लोगों को खाने में नॉर्थ इंडियन, चाइनीज, फास्ट फूड, साउथ इंडियन फूड पसंद है।

 

पर्यटक यहां से थोड़ी दूरी पर स्थित मसूरी, सहस्रधारा, लच्छीवाला, भट्टा फॉल, चकराता, बुद्घा टेंपल, मालसी डीयर पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, दरबार साहिब जैसी कई जगहें घूमना पसंद करते हैं। देहरादून के खास मंदिर लक्ष्मण सिद्घ, प्रकाशेश्चर मंदिर, टपकेश्चर मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव हैं। वैसे तो यहां पर 35 से ज्यादा कॉलेज और स्कूल हैं। लेकिन कुछ कॉलेज और विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जिनकी चर्चा दूर-दूर के राज्यों तक होती है। इनमें देवबंधु विश्वविद्यालय, दून यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम भी शामिल हैं।