उत्तराखण्डः मेहनत और हौसले से बदली तकदीर! बागेश्वर के गनीगांव निवासी मनोज रावल बने आत्मनिर्भरता की मिसाल, ऐसे बनाई अलग पहचान
बागेश्वर। गनीगांव के मनोज रावल आज मेहनत और आत्मविश्वास के प्रतीक बन चुके हैं। बैजनाथ में अपने लघु उद्योग के जरिए उन्होंने साबित किया है कि हौसला और सही दिशा में किया गया प्रयास व्यक्ति की किस्मत बदल सकता है। वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत दस लाख रुपये का लोन लेकर उन्होंने अपने उद्योग का सफर शुरू किया था। शुरुआत में सीमित साधनों और छोटे स्तर से काम शुरू करने वाले मनोज रावल ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने इंटर लॉक टाइल्स और ब्लॉक बनाने के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। धीरे-धीरे उनके उत्पादों की गुणवत्ता और टिकाऊपन के कारण उनकी पहचान दूर-दूर तक फैल गई। आज उनके बनाए टाइल्स और ब्लॉक की मांग न केवल आसपास के क्षेत्रों में बल्कि बाहर के शहरों में भी की जा रही है। मनोज रावल ने न सिर्फ अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी, बल्कि अपने गांव के विकास में भी भागीदारी निभाई है। उनके उद्योग में आज छह लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। यह सफलता कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो तो आत्मनिर्भर भारत का सपना किसी भी गांव से साकार हो सकता है।