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देश डिजिटल हुआ, मगर संवेदना पीछे रह गई? हवाई अड्डे पर बेटी के लिए सेनेटरी पैड मांगते पिता का वायरल वीडियो! सभासद गजाला कमाल ने बताया ‘देश के सिस्टम की असफलता’, पिंक टॉयलेट को अनिवार्य करने की उठाई मांग!

The country has gone digital, but has compassion been left behind? A viral video of a father asking for sanitary pads for his daughter at the airport! Councillor Ghazala Kamal called it a 'failure of

उत्तराखंड/नैनीताल 

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने पूरे देश की संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है, जिसमें एक पिता को हवाई अड्डे जैसे अत्याधुनिक स्थान पर अपनी बेटी के लिए सैनिटरी पैड मांगते हुए मदद की गुहार लगाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो को देखकर नैनीताल की नगर पालिका सभासद गजाला कमाल ने गहरी पीड़ा और नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे केवल एक घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक गंभीर चेतावनी करार दिया है।

 

 

गजाला कमाल ने कहा कि जब एक पिता को अपनी बेटी की बुनियादी जरूरत के लिए सार्वजनिक स्थान पर चिल्लाना पड़े, तो यह किसी लड़की या परिवार की नहीं, बल्कि समाज और व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है। माहवारी (पीरियड) कोई शर्म या बीमारी नहीं, बल्कि स्त्री शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, फिर भी आज भी महिलाओं और किशोरियों को इस विषय पर चुप रहने, सहने और छुपाने के लिए मजबूर किया जाता है।

 

उन्होंने कहा कि यह घटना केवल इसलिए चर्चा में आई क्योंकि यह कैमरे के सामने हुई। हकीकत यह है कि ऐसी असहाय स्थिति से महिलाएं और लड़कियां रोजाना सरकारी दफ्तरों, अस्पतालों, बस स्टैंड, कॉलेज, बैंक, नगर पालिकाओं और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर दो-चार होती हैं — बस वहां कोई कैमरा नहीं होता।

सभासद ने सवाल उठाया कि समस्या यह नहीं है कि उस हवाई अड्डे पर सैनिटरी पैड क्यों नहीं मिला, बल्कि असली सवाल यह है कि सैनिटरी पैड को अब तक अनिवार्य आवश्यकता क्यों नहीं माना गया? उन्होंने मांग की कि पिंक टॉयलेट, सैनिटरी पैड की सहज उपलब्धता और उनके सुरक्षित निस्तारण को नीति नहीं, बल्कि अनिवार्य जिम्मेदारी बनाया जाए।

गजाला कमाल ने कहा, "जब बेटी के सम्मान के लिए पिता को चिल्लाना पड़े, तो समझ लीजिए कि हम एक समाज के रूप में असफल हो गए हैं। हम गर्व से कहते हैं कि भारत डिजिटल और आधुनिक बन रहा है, लेकिन क्या हमारी सोच और संवेदनाएं भी उतनी ही विकसित हुई हैं?"

उन्होंने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक टॉयलेट, सैनिटरी पैड और स्वच्छता कोई सुविधाएं नहीं, बल्कि महिलाओं का अधिकार और सम्मान हैं। इसके लिए केवल सहानुभूति नहीं, ठोस निर्णय की आवश्यकता है।

इसी क्रम में उन्होंने जानकारी दी कि जल्द ही वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद अजय भट्ट और क्षेत्रीय विधायक सरिता आर्य को पत्र और ज्ञापन सौंपेंगी, जिसमें सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में महिलाओं के सम्मान के लिए पिंक टॉयलेट और सैनिटरी पैड की अनिवार्य व्यवस्था लागू करने की मांग की जाएगी।