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अब्दुल कलाम नहीं, वाजपेयी को राष्ट्रपति और आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी बीजेपी! अटल के करीबी अशोक टंडन की किताब में बड़ा खुलासा, जानें क्यों हैरान रह गईं थीं सोनिया गांधी?

The BJP wanted to make Vajpayee President and Advani Prime Minister, not Abdul Kalam! A book by Ashok Tandon, a close associate of Atal Bihari Vajpayee, reveals a major revelation. Sonia Gandhi was s

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने अपनी किताब ‘अटल संस्मरण’ में एक बड़ा दावा किया है। किताब के अनुसार एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का 11वां राष्ट्रपति बनाए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति पद पर भेजने और लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया था, हालांकि वाजपेयी ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। साल 1998 से 2004 तक वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन की किताब ‘अटल संस्मरण’ के अनुसार वाजपेयी का मानना था कि किसी प्रधानमंत्री का बहुमत के दम पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं होगा। टंडन लिखते हैं कि वाजपेयी इस विचार के लिए तैयार नहीं थे।

किताब के मुताबिक वाजपेयी इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। उनका मानना था कि किसी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का बहुमत के आधार पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा। यह एक बेहद गलत परंपरा स्थापित करेगा और वह ऐसे किसी कदम का समर्थन करने वाले आखिरी व्यक्ति होंगे। इसके बाद वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। अपनी किताब में टंडन लिखते हैं कि उस बैठक में सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए थे। उसी बैठक में वाजपेयी ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। टंडन के मुताबिक यह बात सुनते ही बैठक में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। फिर सोनिया गांधी ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि वे इस चयन से हैरान हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास इसका समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन वे इस प्रस्ताव पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लेंगी। बाद में एपीजे अब्दुल कलाम को 2002 में एनडीए और विपक्ष दोनों के समर्थन से भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने 2007 तक यह पद संभाला।

किताब में टंडन ने वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान घटित कई अन्य घटनाओं और विभिन्न नेताओं के साथ उनके संबंधों का भी जिक्र किया है। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी पर लिखते हुए टंडन ने कहा है कि कुछ नीतिगत मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं के संबंध कभी सार्वजनिक रूप से खराब नहीं हुए। टंडन के अनुसार आडवाणी हमेशा अटल बिहारी वाजपेयी को ‘मेरे नेता और प्रेरणा स्रोत’ के रूप में संबोधित करते थे, जबकि वाजपेयी उन्हें अपना ‘अटूट साथी’ कहते थे। किताब में लिखा गया है, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की साझेदारी भारतीय राजनीति में सहयोग और संतुलन का प्रतीक रही है। उन्होंने ना केवल बीजेपी को खड़ा किया, बल्कि पार्टी और सरकार दोनों को नई दिशा दी।

इस किताब में 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दौरान की एक अहम बातचीत का भी जिक्र है। उस दिन वाजपेयी अपने आवास पर थे और टीवी पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई देख रहे थे। टंडन लिखते हैं कि उसी दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी का फोन आया। उन्होंने कहा, मुझे आपकी चिंता हो रही है, आप सुरक्षित तो हैं? इस पर वाजपेयी ने जवाब दिया, सोनिया जी, मैं सुरक्षित हूं। मुझे चिंता थी कि कहीं आप संसद भवन में ना हों। अपना ख्याल रखिए।