गौरवशाली पलः इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में शुभांशु शुक्ला की हुई एंट्री! 14 दिन यहीं रहेंगे चारों एस्ट्रोनॉट्स, ISS पहुंचने वाले भारत के दूसरे नागरिक बने शुभांशु

Proud moment: Shubhanshu Shukla enters International Space Station! All four astronauts will stay here for 14 days, Shubhanshu becomes the second Indian citizen to reach ISS

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पर पहुंच गए हैं। इस पल का पूरे देशवासियों को बेसब्री से इंतजार था। खबरों के मुताबिक चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने स्वागत किया। इसके बाद चारों मेहमानों को वेलकम ड्रिंक दी गई। इसी के साथ भारत का स्पेस स्टेशन पहुंचने का सपना पूरा हो गया। बता दें कि शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा पहली बार भारत की ओर से अंतरिक्ष में उतरे थे। नासा ने शुभांशु शुक्ला के स्पेसक्रॉफ्ट के डॉकिंग का पूरा लाइव प्रसारण किया है। शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से तय समय से 20 मिनट पहले डॉक हुआ। इसके बाद 1-2 घंटे की जांच हुई, जिसमें हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की पुष्टि होगी। इसके बाद क्रू ISS में प्रवेश करेगा। यह यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से 418 किमी ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। लॉन्च के बाद से यह लगभग 26 घंटे की यात्रा पूरी कर चुका है और अब अंतिम चरण में है। इसके लिए यान ने कई कक्षीय मैन्यूवर्स (orbital maneuvers) किए हैं ताकि ISS की कक्षा के साथ अलाइन हो सके। 

डॉकिंग के वक्त भावुक हुई मां

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला उस वक्त बेहद भावुक हो गईं, जब उनके बेटे के अंतरिक्ष यान ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में डॉकिंग की। वह अपने भावुकता के आंसुओं को पोंछती दिखाई दे रही हैं। वाकई यह देश को गौरवान्वित और भावुक कर देने वाला ऐतिहासिक पल है। 

अंतरिक्ष में यह सात एक्सपेरिमेंट करेंगे शुभांशु
पहला:
 मायोजेनेसिस की स्टडी यानी अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के मांसपेशियों पर असर का अध्ययन किया जाएगा। अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियां घटने लगती हैं। कमजोर पड़ने लगती हैं। सुनीता विलियम्स के साथ भी ऐसा ही हुआ था। भारत के Institute of Stem Cell Science and Regenerative Medicine माइक्रोग्रैविटी में होने वाले इस प्रयोग के तहत मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों का आगे अध्ययन करेगा और ऐसे इलाज विकसित कर सकेगा। यह स्टडी भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए काफी कारगर होगा।
दूसरा: शुभांशु का दूसरा एक्सपेरिमेंट फसलों के बीजों से जुड़ा है। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी का बीजों के जेनेटिक गुणों पर क्या असर पड़ता है।
तीसरा: तीसरा एक्सपेरिमेंट आधे मिलीमीटर से छोटे जीव टार्डीग्रेड्स पर किया जाएगा। शुभांशु यह स्टडी करेंगे कि अंतरिक्ष में इस छोटे से जीव के शरीर पर क्या असर पड़ता है। टार्डीग्रेड्स को दुनिया का सबसे कठोर और सहनशील जीव माना जाता है। ये धरती पर 60 करोड़ साल से जी रहे हैं।
चौथा: शुभांशु चौथा रिसर्च माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर होगा। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोएल्गी  का माइक्रोग्रैविटी पर क्या असर प़ड़ता है। यह मीठे पानी और समुद्री वातावरण दोनों में पाए जाते हैं। पता लगाया जाएगा कि क्या भविष्य के लंबे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण में उनकी भूमिका हो सकती है।
पांचवां: शुभांशु शुक्ला मूंग और मेथी के बीजों पर भी स्टडी करेंगे। माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य है कि अगर भविष्य में अंतरिक्ष में बीजों  को अंकुरित करने की जरूरत पड़ी तो क्या यह संभव है।
छठा: स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया की दो किस्मों पर रिसर्च करने से जुड़ा है।
सातवां: अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की परिस्थितियों में कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर कैसा असर पड़ता है। शुभांशु इस पर स्टडी करेंगे।