ऑपरेशन सिंदूर: एयर स्ट्राइक में मारे गए जैश आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग! बोला- 'काश मैं भी मर जाता', मोदी ने मासूम...

Operation Sindoor: 10 members of Jaish terrorist Masood Azhar's family killed in air strike! He said- 'I wish I had died too', Modi said innocent...

नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार देर रात ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया है। इस हमले में जैश के आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग मारे गए हैं। भारत के इस हमले में मसूद के 4 करीबियों की भी मौत हुई है। इस बीच मसूद अजहर ने बयान जारी करके इस बात की पुष्टि की है। गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके के अंदर आतंकी ठिकानों पर हमला किया है, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। मसूद अजहर ने कहा कि अल्लाह ताला फरमाते हैं, शहीद जिंदा हैं। अल्लाह ताला उनका मेजबान है और वो अल्लाह ताला के प्यारे मेहमान हैं। मेरे परिवार के दस सदस्यों को आज रात एक साथ ये खुशी नसीब हुई। पांच मासूम बच्चे- जन्नत के फूल, मेरी बड़ी बहन, मेरी रूह को प्यारी साहिबा...उनके आदरणीय भतीजे, मेरे विद्वान भतीजे और उनकी पत्नी और मेरी प्यारी विद्वान भतीजी। हमारे कथित दोस्त हुज़ैफ़ा और उनकी मां, दो और प्यारे साथी भी। मसूद ने कहा, 'पीएम मोदी ने मासूम बच्चों, पर्दानशीं महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बनाया। शायरी और सदमा इतना है कि बयान नहीं किया जा सकता लेकिन कोई अफसोस, निराशा, डर या खौफ नहीं है बल्कि बार-बार दिल में आता है कि काश मैं भी चौदह सदस्यों के इस खुशकिस्मत कारवां में शामिल हो जाता। लेकिन अल्लाह ताला से मिलने का वक्त बहुत पक्का है। वो आगे-पीछे नहीं हो सकता। हमारे एक घर में कुल चार बच्चे थे। सात से तीन साल की उम्र तक। चारों एक साथ स्वर्ग सिधार गए। उनके माता-पिता अकेले रह गए, लेकिन "पहली सदियों" जैसी यह खुशी सिर्फ़ उन्हीं को नसीब होती है, जिन्हें अल्लाह ताला प्यार करता है।' मसूद ने कहा, 'उनके जाने का यही तय समय था। लेकिन अल्लाह ताला ने उन्हें मौत नहीं, जिंदगी दी। जमूदी की इस क्रूरता ने सारे नियम तोड़ दिए। अब वहां किसी को रहम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। बमबारी में शहीद हुई जामा मस्जिद, सुभान अल्लाह का गुंबद, दुश्मनों पर इतना गुस्सा और भड़केगा कि उनके वंशज भी इसे याद रखेंगे, अल्लाह चाहेगा। आज चार बजे, इस बेहद खुशकिस्मत कारवां की जनाजा नमाज बहावलपुर में पढ़ी जाएगी। क्या कोई ऐसा मंदिर है जो आस्था, सम्मान और क्षमा के इस अवसर से वंचित हो।'