बड़ी खबरः भारत में दो चरणों में होगी मतगणना! सरकार ने जारी की अधिसूचना, जानें क्यों है जरूरी?

नई दिल्ली। भारत सरकार ने आज सोमवार को जनगणना 2027 को अधिसूचित कर दिया है। इससे अब आधिकारिक तौर पर जनगणना का प्रोसेस शुरू हो गया है। यह 2011 के बाद देश की पहली जनगणना होगी। जनगणना का काम दो फेज में पूरा होगा। पहला फेज लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों के लिए 1 अक्टूबर, 2026 को शुरू होगा। देश के बाकी हिस्सों के लिए दूसरा फेज 1 मार्च, 2027 को शुरू होगा। बता दें कि जनगणना का होना बहुत ही जरूरी है। इसी के आधार पर चुनावी निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाते हैं और एससी और एसटी कैटेगरी के लिए सीटें रिजर्व की जाती हैं। शिक्षा से लेकर ग्रामीण विकास तक के मंत्रालय स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का पता लगाने के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं। संविधान का अनुच्छेद 82 सबसे हालिया जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अनिवार्य करता है। अनुच्छेद 330 और 332 एससी और एसटी के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात के आधार पर विधानसभाओं में सीटें रिजर्व करते हैं।
जनगणना कैसे की जाती है?
यह प्रोसेस भी दो फेज में पूरा किया जाता है। पहला तो घरों की लिस्ट बनाना और घरों की जनगणना व उसके बाद दूसरा फेज जनसंख्या की गणना। इन फेज के बीच में कई महीनों का अंतर होता है। जनगणना को पूरा करने के लिए करीब 30 लाख जनगणना करने वालों की जरूरत होगी। इसमें ज्यादातर स्कूल के टीचर्स को तैनात किए जाने का अनुमान है। इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट और सब डिस्ट्रिक्ट लेवल पर लगभग 1,20,000 वर्कर हैं। यह जनगणना के काम का मैनेजमेंट, देखरेख या मदद करते हैं।
हाउस लिस्टिंग फेज
हाउस लिस्टिंग फेज में देश में हर संरचना का दौरा किया जाता है ताकि इमारतों और घरों की विशेषताओं को दर्ज किया जा सके। गणना करने वाला घर के मुखिया, सदस्यों की संख्या, इसकी बनावट में इस्तेमाल की गई सामग्री, रूम की संख्या, पानी और बिजली के सोर्स, खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईधन और टीवी, फोन, वाहन आदि जैसी संपत्तियों की उपलब्धता के बारे में डेटा इकट्ठा करता है।