NARROW ESCAPED:युवक की गर्दन के आरपार हो गया नुकीला त्रिशूल,फिर भी बच गयी जान!अस्पताल वाले भी बोले जाको राखे साईयाँ मार सके न कोई
जाको राखे साईयाँ मार सके न कोई।
ये कहावत पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के एक युवक पर सटीक बैठती है। युवक की गर्दन के आरपार एक त्रिशूल हो गया और इलाज के बाद अब युवक खतरे से बाहर है।
दरअसल पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कल्याणी निवासी एक वर्षीय एक युवक को कोलकाता के एनआरएस अस्पताल लाया गया युवक की गर्दन में एक त्रिशूल आरपार हो गया था और युवक खून से लथपथ था, उसे तुरंत ईएनटी आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया. सर्जरी करीब 1 घंटे तक चली,गनीमत रही कि ऑपरेशन सफल रहा, और फिलहाल युवक सही सलामत है और बिना किसी लाइफ सपोर्ट सिस्टम के है। त्रिशूल युवक की गर्दन में कैसे घुसा इसका अभी पता नहीं चल पाया है
एनआरएस अस्पताल के डॉक्टर प्रणवशीष बंद्योपाध्याय ने मीडिया को बताया कि ”अगर त्रिशूल कुछ सेंटीमीटर भी इधर-उधर होता तो युवक की मौत हो सकती थी, यह वाकई एक चमत्कार है कि गले में त्रिशूल आरपार होने के बाद भी वह बच गया!”
अस्पताल के मुताबिक सुबह के तीन बज रहे थे, कोलकाता के नीलारतन सरकार मेडिकल कॉलेज (एनआरएस) के आपातकालीन विभाग एक युवक खून से लथपथ हालत में पहुंचा, त्रिशूल उसकी गर्दन में घुस गया था। एक नुकीले त्रिशूल का दूसरा छोर गर्दन के अगले हिस्से से पार होता दिखाई दे रहा था और त्रिशूल का नुकीला हिस्सा, एक हाथ लंबा था। युवक का पूरा चेहरा खून से लथपथ था, गले से भी लगातार खून बह रहा था। इसके बावजूद भी युवक होश में था।
प्रभारी चिकित्सक तुरंत युवक को ईएनटी विभाग (एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल) ले गए और प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सर्जनों को दी।युवक की हालत गंभीर देखकर स्वास्थ्य कर्मी सहम गए थे। उसके बाद लगभग एक घंटे तक युवक की सर्जरी हुई और युवक का ऑपरेशन वह सफल रहा. डॉक्टर ने यह भी कहा कि उस स्थान पर श्वासनली, कैरोटिड ग्रंथि सहित कई महत्वपूर्ण अंग होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सर्जरी बहुत सावधानी से की गई. ट्रेकियोस्टोमी सर्जरी ‘पुश एंड पुल’ प्रक्रिया में की जाती है. इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ प्रणवशी बनर्जी ने किया. उनके साथ डॉक्टर सुतीर्थ साहा, अर्पिता महंती और डॉक्टर नदीम भी थे. इसके अलावा सर्जरी के दौरान डॉक्टर मधुरिमा रॉय मौजूद रहीं.