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नैनीताल:अतिक्रमण और भूमि विवादों पर सख्ती! DM ललित मोहन रयाल ने गठित की राजस्व-प्रवर्तन समिति, अब होगा त्वरित निस्तारण

Nainital: Strict action against encroachment and land disputes! DM Lalit Mohan Raiyal has formed a revenue enforcement committee, which will now ensure swift resolution.

नैनीताल जिले में अतिक्रमण, भूमि-सीमा और राजस्व से जुड़े विवादों के त्वरित समाधान के लिए जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने एक कड़ा कदम उठाते हुए राजस्व-प्रवर्तन समिति के गठन के निर्देश जारी किए हैं। यह समिति तहसील स्तर पर उत्पन्न होने वाले स्थानीय और राजस्व प्रकृति के विवादों का शीघ्र, निष्पक्ष और प्रभावी निस्तारण सुनिश्चित करेगी।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, रास्तों और नालों से जुड़े विवाद, भूमि सीमांकन की समस्याएं एवं राजस्व अभिलेखों में त्रुटियों जैसे मामलों को अब लापरवाही से नहीं छोड़ा जाएगा। इन सभी विषयों पर कड़ी निगरानी रखते हुए नियमित सुनवाई और मौके पर निरीक्षण के माध्यम से समाधान किया जाएगा।

समिति की संरचना इस प्रकार होगी:
समिति की अध्यक्षता उपजिलाधिकारी करेंगे, जबकि तहसीलदार, थाना प्रभारी/माससाखा अधिकारी, क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। लेखपाल या हल्का पटवारी को समिति का सदस्य सचिव बनाया गया है, जो रिकॉर्ड संधारण और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी संभालेंगे।

जिलाधिकारी रयाल ने यह भी निर्देश दिए कि समिति हर सप्ताह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी। स्थल निरीक्षण, समुचित अभिलेखों के परीक्षण और वास्तविक भौतिक स्थिति के आधार पर फैसले लिए जाएंगे, ताकि विवादों का स्थायी और न्यायसंगत निस्तारण हो सके।

समिति के मुख्य दायित्वों में शामिल हैं:

सभी प्रकार के नक्शों, खसरों और राजस्व अभिलेखों की गहन जांच

अतिक्रमण पाए जाने पर नोटिस जारी कर विधिक कार्रवाई

मेड़ व सीमांकन से जुड़े मामलों का अंतिम निस्तारण

सार्वजनिक परिसंपत्तियों को उनके मूल स्वरूप में बहाल करना


इसके साथ ही जिलाधिकारी ने आदेश दिए हैं कि समिति द्वारा निस्तारित एवं लंबित मामलों की साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट अपर जिलाधिकारी कार्यालय को भेजी जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

प्रशासन के इस फैसले से जिले में वर्षों से लंबित विवादों के जल्द निपटारे और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत और निर्णायक पहल मानी जा रही है।