उत्तराखंड के कंदाड और इंद्रोली गांव में गहनों पर बैन! तीन से ज्याद ज्वैलरी नहीं पहन सकती महिलाएं
देवभूमि उत्तराखंड अपने पारंपरिक परिधान और आभूषणों के लिए जाना जाता है। जिसे महिलाएं मांगलित कार्यों में अक्सर पहनी दिखाई देती हैं। वहीं इन दिनों विकासनगर-जौनसार बावर का कंदाड और इंद्रोली गांव ऐतिहासिक सामाजिक फैसले से सुर्खियों में बना हुआ है। ग्राम पंचायत कंदाड की बैठक में सामाजिक निर्णय लिया गया कि कंदाड और इंद्रोली गांव की महिलाएं शादी विवाहऔर मांगलिक कार्यों में मात्र सोने से बने तीन ही आभूषण पहनेगी। निर्णय का उल्लंघन करने वालों पर पचास हजार रुपए का अर्थदंड लगाने की भी सहमति बनी है। ग्रामीणों के सामूहिक रूप से लिए फैसले की चर्चा जोरों पर है।
उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र अपनी अनूठी परंपरा और लोक संस्कृति के लिए विख्यात है। जौनसार बावर क्षेत्र मे समय-समय पर खत पट्टियों (8 से 10 गांव) और गांव में सामाजिक सुधार के निर्णय लिए जाते रहे हैं। 16 अक्टूबर को जौनसार बावर के चकराता ब्लॉक के कंदाड गांव मे ग्रामीणों ने बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि गांव की महिलाएं, अब शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में होने वाले सार्वजनिक आयोजनों मे केवल सोने के तीन आभूषण, जैसे कान के झुमके, गले का मंगलसूत्र और नाक की लौंग (फूली) ही पहनेंगी। ग्रामीणों के इस फैसले का उद्देश्य समाज में बढ़ती दिखावे की प्रवृत्ति को रोकना और आर्थिक असमानता की भावना को दूर करना है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कुछ महिलाएं कार्यक्रमों में भारी सोने के आभूषण पहनकर आती है। जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में भी इसका असर पड़ता है। इसी कारण गांव की सामूहिक बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। कंदाड और इंद्रोली गांव में करीब पचास से अधिक परिवार निवास करते हैं।
स्थानीय महिला फूल्पा देवी जौनसार पोषक और सोने के तीन आभूषण पहने पर कहती है कि गांव का फैसला सबके लिए ठीक है, हमें कोई आपत्ति नहीं है। गांव की अमृता चौहान ने कहा कि हमारे गांव ने जो फैसला लिया है, वह अच्छा है। क्योंकि शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में महिलाएं कोई हमसे ज्यादा गहने पहनती हैं, तो कोई कम पहनती हैं। कोई ज्यादा दिखावा करती हैं, इसके लिए ये फैसला लिया गया है। इसका उद्देश्य है कि गांव में जितनी भी महिलाएं हैं, शादी पार्टियों में एक समान दिखे। कम गहने पहनने पर गरीब लोग को फील होता है. सोने के आभूषण बनाने के लिए लोग उधार और कर्ज तक ले लेते हैं, जो सही नहीं है। कंदाड गांव के ही बलदेव सिंह कहते हैं ग्रामीणों ने यह फैसला इसलिए लिया है कि अमीरी और गरीबी का भेद मिट सके। गांव में किसी के पास ज्यादा गहना होता है किसी के पास कम होता है। इसलिए गांव में यह परंपरा बनाई है कि जितनी भी महिलाएं शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में जाती हैं, वो एक समान आभूषण पहने। कंदाड़ और इद्रोली गांव में अधिकतर किसान रहते हैं, जिनकी आर्थिकी भी मजबूत नहीं है। इसलिए पूरे ग्रामसभा ने तय किया है कि महिलाएं एक जैसा आभूषण पहनेंगी। किसी के मन में यह ना रहे कि मेरे पास ज्यादा है, इसके पास कम है। गांव में 90 बसंत देख चुकी उमा देवी ने बताया कि ये निर्णय काफी अच्छा है। गांव के ही टीकम सिंह ने कहा कि सोना काफी महंगा हो गया है, हर आदमी सोने के गहने नहीं बना सकता। गांव में सभी महिलाएं एक समान गहने पहनेंगी,जो हमारी अतीत की परंपरा भी रही है।