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सत्ता के नुमाइंदे तक सुरक्षित नहीं! मित्र पुलिस की छवि पर फिर लगे दाग! कैम्प थाने में दर्जा मंत्री संग पुलिसकर्मियों ने की धक्का-मुक्की और गाली-गलौज

Even the representatives of the government are not safe! The image of the friendly police is again tarnished! Policemen pushed and abused the minister of state in the camp police station

रुद्रपुर। उत्तराखंड की "मित्र पुलिस" एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पुलिस पर लगातार फरियादियों से दुर्व्यवहार और पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला सीधे सत्ता से जुड़ा हुआ है। जनपद ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर के ट्रांजिट कैंप थाने में उत्तराखंड शासन के दर्जा मंत्री उत्तम दत्ता के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा बदसलूकी का गंभीर मामला सामने आया है।

जानकारी के अनुसार,दर्जा मंत्री उत्तम दत्ता के छोटे पुत्र रुद्रपुर मुख्य बाजार से शिवनगर होकर अपने निवास ट्रांजिट कैंप लौट रहे थे। रास्ते में विवाद होने पर कुछ युवकों ने उनके पुत्र की जमकर पिटाई कर दी। इस घटना को लेकर दर्जा मंत्री उत्तम दत्ता स्वयं ट्रांजिट कैंप थाने पहुंचे, लेकिन यहां उन्हें न्याय दिलाने के बजाय पुलिसकर्मियों ने उनके साथ ही अभद्रता कर दी। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, थाने में मौजूद एक एसआई ने न केवल मंत्री दत्ता के साथ दुर्व्यवहार किया बल्कि उनके समर्थकों और परिजनों को भी धक्का-मुक्की व गाली-गलौज का सामना करना पड़ा। मामला इतना बढ़ गया कि मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मी भी एसआई का पक्ष लेते दिखाई दिए।

घटना की सूचना मिलते ही भाजपा जिला अध्यक्ष कमल जिंदल, रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा और नगर निगम महापौर विकास शर्मा तुरंत थाने पहुंचे। भाजपा नेताओं ने पुलिस की कार्यशैली पर कड़ा विरोध जताया और इसे "मित्र पुलिस" की छवि को धूमिल करने वाला कृत्य बताया। थाने में काफी देर तक भाजपा नेताओं और थाना पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक होती रही। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि यदि राज्य के एक दर्जा मंत्री तक के साथ पुलिस इस तरह का व्यवहार कर सकती है, तो आम जनता के साथ पुलिस का रवैया किस हद तक कठोर और असंवेदनशील होगा, यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई हो। यह घटना उस समय सामने आई है जब राज्य में "मित्र पुलिस" की छवि को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जनता की शिकायत है कि पुलिस अक्सर फरियादियों को न्याय दिलाने के बजाय उन्हें ही अपमानित और परेशान करती है। अब जब सत्ता से जुड़े व्यक्ति के साथ ही पुलिस पर दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं, तो यह मुद्दा और भी राजनीतिक रूप से गरमाने वाला है।