रुद्रपुर में फिर गरजा बुलडोज़र, प्रशासन के आगे व्यापारियों की की एक न चली, तमाम बड़े नेता नजरबंद किये गए

Bulldozer thundered again in Rudrapur, traders did not work in front of the administration, all the big leaders were put under house arrest

रुद्रपुर। शहर की राममनोहर लोहिया मार्केट में प्रशासन का बुलडोजर गरजा। अतिक्रमण कर बनाई गई दुकानों को ध्वस्त किया गया। विरोध के चलते भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। रुद्रपुर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। तमाम अधिकारी मौके पर उपस्थित हैं। 

दरअसल, जिला मुख्यालय रुद्रपुर के राम मनोहर लोहिया स्थित हाईवे 87 के किनारे से दुकानों को ध्वस्त करने के लिए भारी संख्या में ज़िले के पुलिस अफसर व कर्मी पहुंचे। एनएचआई के चार बुलडोजर दुकानों को ध्वस्त करने में जुट गए। इसके अलावा एसडीआरएफ की भी टीम मौके पर पहुंची। सुबह साढ़े सात बजे से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई।

डीडी चौक से इंदिरा चौक तक मार्ग को बैरिकेडिंग लगाकर वनवे कर दिया गया है ।यातायात व्यवस्था बनाये रखने के लिए रूट डायवर्ट किया गया। इसके अलावा विरोध को देखते हुए व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, सजाय ठुकराल, हरीश अरोड़ा, संजय जुनेजा, अनिल शर्मा को ऐतिहातन दृष्टिकोण से नज़रबंद किया गया है। इन नेताओं को पंतनगर थाने में बैठाया गया। 

रविवार से ही रुद्रपुर बस अड्डे के सामने व्यापारी धरने पर बैठ गए थे। अतिक्रमण को हटाने के लिए देर रात से प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी और दुकानदारों को दुकान से सामान हटाने का नोटिस दिया। इस पर कुछ दुकानदारों ने रात में ही अपना सामान खुद ही समेट लिया था। बाकी लोग आज सुबह सामान समेटने लगे थे। इस पूरे मामले में उधम सिंह नगर एसएसपी मंजुनाथ टीसी और एसडीएम ने मोर्चा संभाले रखा। भारी पुलिस फोर्स की तैनाती में अतिक्रमण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई।

आपको बता दें, रामनगर में 28 से 30 मार्च तक प्रस्तावित जी-20 बैठक के मद्देनजर प्रशासन अतिक्रमण पर रुख अपनाया हुआ है। एनएचएआई ने जिला प्रशासन से हाईवे 87 से अतिक्रमण हटाने में सहयोग मांगा। अतिक्रमण हटाने के विरोध में करीब एक सप्ताह पहले दुकानें बंद कर चाभी विधायक शिव अरोरा के सुपुर्द कर दी थी और बृहस्पतिवार को दुकाने धवस्त करने के विरोध में व्यापारियों ने खून देकर एक पत्र मुख्यमंत्री को भी लिखा है। लेकिन यह सब कवायत धराशाई हो गई और प्रशासन के आगे व्यापारियों की एक ना चली। जिसके उपरांत प्रशासन का बुलडोज़र गरजने लगा।