ब्रेकिंगः रुद्रपुर में सरकारी नजूल भूमि पर अवैध हस्तांतरण और फ्रीहोल्डिंग का मामला! हाईकोर्ट की रोक जारी, सरकार और निगम से मांगा जवाब
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर शहर में स्थित एक बहुमूल्य सरकारी नजूल भूमि के कथित अवैध हस्तांतरण और फ्री होल्डिंग करने के मामले पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ती सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने लगी रोक को जारी रखते हुए नगर निगम व राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। पूर्व में कोर्ट ने विवादित भूमि पर सभी प्रकार के निर्माण और विकास गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। आज सुनवाई के दौरान सरकार व नगर निगम की तरफ से शपथपत्र पेश करने के लिए समय मांगा गया। जिसपर कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह का समय देते हुए लगी रोक को भी जारी रखा है। बता बता दें कि रुद्रपुर नवासी पूर्व सदस्य नगर निगम रामबाबू द्वारा गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सरकारी अधिकारियों और निजी हितधारकों के बीच सांठगांठ कर बहुमूल्य संपत्ति, यह मामला रुद्रपुर के राजस्व ग्राम लमारा के खसरा संख्या 2 की लगभग 4.07 एकड़ (16,500 वर्ग मीटर) नजूल भूमि से संबंधित है। याचिका में दावा किया गया है कि यह जमीन मूल रूप से जल निकाय (तालाब/पॉन्ड लैंड) थी।
आरोप है कि 1988 में इस भूमि की नीलामी केवल मत्स्य पालन के विकास के लिए दो साल की लीज पर दी गई थी, लेकिन सफल बोलीदाताओं ने न तो लीज स्वीकार की और न ही मछली पालन का कार्य किया। याचिका के अनुसार बोलीदाताओं/ निजी प्रतिवादियों ने बिना किसी वैध पट्टे या लीज समझौते के जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया। बाद में कथित तौर पर अधिकारियों को गुमराह कर और सांठगांठ करके अवैध रूप से कब्ज़ा ली गई। साथ में अपने पक्ष में इस नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करा लिया गया। धोखाधड़ी को छिपाने के लिए फ्री होल्डिंग के दौरान मूल खसरा संख्या 2 (ग्राम लमारा) को बदलकर खसरा संख्या 156 (राजस्व ग्राम रामपुरा) कर दिया गया, जिससे राजस्व रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियां पाई गईं। फ्री होल्डिंग नीलामी की पुरानी दरों (1988) पर की गई, जबकि यह भूमि वर्तमान में सैकड़ों करोड़ रुपये की है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। याचिका में बताया गया है कि निजी प्रतिवादियों ने फ्री होल्डिंग के बाद निर्माण कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम समझौता किया है और जल्द ही इस सार्वजनिक भूमि पर एक विशाल मॉल का निर्माण शुरू करने वाले थे। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इसपर रोक लगाई जाय।