जन्मदिन स्पेशल : आयरन लेडी यानी इंदिरा गांधी, कभी गूंगी गुड़िया कहलाने वाली पहचानी गयी कभी दुर्गा तो कभी आयरन लेडी के नाम से, हत्या के पहले ही भांप गयी थी भविष्य कही थी ये बात

Birthday Special: Iron Lady i.e. Indira Gandhi, sometimes known as Dumb Gudiya, sometimes Durga and sometimes in the name of Iron Lady, had guessed before the murder, had said this thing

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री और आइरन लेडी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ था। उनके पिता पं. जवाहर लाल नेहरू तथा माता का नाम कमला नेहरू तथा दादा का नाम पं. मोती लाल नेहरू था। इनके दादा देश के जाने−माने वकील थे। इन्हें दादा से ज्यादा लाड़−दुलार मिला क्योंकि यह घर की इकलौती संतान थी। उनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी' था। घर पर सब  'इंदु' कहते थे। उनका इंदिरा नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। जिसका मतलब होता है कांति, लक्ष्मी एवं शोभा। इंदिरा की प्रारंभिक शिक्षा उनके आवास आनंद भवन में ही हुई। फिर कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन में कुछ समय तक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद वह उच्च शिक्षा हेतु इंग्लैंड गई वहां उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करके वह भारत आ गई। इंदिरा गांधी शुरू से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं। बचपन में उन्होंने महात्मा गांधी की प्रेरणा से 'बाल चरखा संघ' की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से 'वानर सेना' का निर्माण किया। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय सहभागिता के लिए सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में इन्होंने गांधी जी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया।

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967−1977 और फिर चौथी बार 1980−84 देश की प्रधानमंत्री बनीं। 1967 के चुनाव में वह बहुत ही कम बहुमत से जीत सकी थीं लेकिन 1971 में फिर से वह भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बनीं और 1977 तक रहीं। 1977 के बाद वह 1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं। इंदिरा गांधी ने 1971 के भारत पाक युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया। दृढ़ निश्चयी और किसी भी परिस्थिति से जूझने और जीतने की क्षमता रखने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल इतिहास बल्कि पाकिस्तान को विभाजित कर दक्षिण एशिया के भूगोल को ही बदल डाला और 1962 के भारत चीन युद्ध की अपमानजनक पराजय की कड़वाहट धूमिल कर भारतीयों में जोश का संचार किया,इंदिरा गांधी 16 वर्ष देश की प्रधानमंत्री रहीं और उनके शासनकाल में कई उतार−चढ़ाव आए। एक ऐसी महिला जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। यही वजह है कि उन्हें आयरन लेडी अर्थात लौह महिला के नाम से संबोधित किया जाता है। आज इंदिरा गांधी को सिर्फ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्व राजनीति' के इतिहास में हमेशा जानी जाती रहेंगी। इंदिरा गांधी को शायद अपनी हत्या का अंदेशा हो गया था तभी उन्होंने अपनी हत्या के एक दिन पहले ही उड़ीसा में अपना आखरी भाषण देते हुए कहा था− 'मैं आज जीवित हूं, शायद कल संसार में नहीं रहूंगी, फिर भी मैं अपनी आखरी सांस तक देश की सेवा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी मेरे खून की एक−एक बूंद भारत को शक्ति देगी और अखण्ड भारत को जीवित रखेगी।' 

इंदिरा गांधी की जीवन का एक काला अध्याय भी रहा, 1971 वो साल था जब दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश का उदय हुआ और किसी दौर में गूंगी गुड़िया कही जाने वाली इंदिरा गांधी को 'मां दुर्गा' और 'आयरन लेडी' जैसे नामों से पुकारा जाने लगा, लेकिन कुछ समय बाद ही स्थितियां बदल गईं। 25 और 26 जून के बीच की रात इंदिरा गांधी ने देश के इतिहास में आपातकाल यानी इमरजेंसी का काला अध्याय लिख डाला। इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर को हुई और देश की आयरन लेडी हमेशा के लिए सो गई।