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यूनिवर्सिटी और कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की जॉब का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी अपडेट! विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की अनुमति, कुलपति बनने के लिए दस साल के टीचिंग अनुभव की बाध्यता भी खत्म

Big update for the youth who are dreaming of the job of Assistant Professor in University and College! Permission to teach on the basis of expertise, requirement of ten years of teaching experience t

यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर जॉब का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी अपडेट है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सहायक प्रोफेसरों के पदों  पर नियुक्ति के लिए नया ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके अनुसार, एमई और एमटेक कैंडिडेट्स को नेट क्वालिफाई होना जरूरी नहीं है। साथ ही वाइस चांसलर के पदों पर भर्ती के लिए भी नियमों में बदलाव किया है। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में फैकल्टी की नियुक्ति, प्रमोशन और वीसी की भर्ती के संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की गई है।
जारी किए गए ड्राफ्ट में कहा गया है कि कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) और मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) में पीजी डिग्री वाले लोगों को सीधे सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती होने की अनुमति मिल जाएगी। इसके लिए उन्हें, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा क्वालिफाईड होना जरूरी नहीं है। 
यूजीसी की ओर से तैयार किए गए नए मानदंडों में उम्मीदवारों को उनकी उच्चतम शैक्षणिक विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की भी अनुमति देने की तैयारी की जा रही है। इसके मुताबिक अब यूजी और पीजी की पढ़ाई किसी भी विषय से की हो लेकिन पीएचडी या नेट के विषयों से वे प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर रसायन विज्ञान में पीएचडी, गणित में स्नातक और भौतिकी में मास्टर डिग्री वाला उम्मीदवार अब रसायन विज्ञान पढ़ाने के लिए अर्हता प्राप्त है। इसी तरह जो कैंडिडे्स अपने पहले यूजी, पीजी से अलग विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, वे उस विषय को पढ़ा सकते हैं, जिसमें उन्होंने नेट के लिए अर्हता प्राप्त की है।
नई गाइडलाइंस के अनुसार अब कुलपति के पदों पर नियुक्ति के लिए किसी उम्मीदवार को 10 वर्ष का टीचिंग एक्‍सपीरियंस होना जरूरी नहीं होगा। फील्ड के एक्सपर्ट, जिन्होंने संबंधित फील्ड में दस साल काम किया हो और उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो, वे इस पद के लिए पात्र होंंगे, जबकि अभी तक शिक्षाविद्द के रूप में 10 साल का कार्यकाल जरूरी था। 
यूजीसी ने नेट के विषयों में भी छूट देने के लिए मसौदा तैयार किया है। इसका मतलब यह है कि अगर NET परीक्षा का विषय यूजी और पीजी से अलग भी है तो वे संबंधित विषयों से नेट परीक्षा पास करने वाले सब्जेक्ट से प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। यूजीसी की ओर से तैयार हुए मसौदे में कहा गया है कि, अगर कैंडिडेट्स के पास पीएचडी का विषय, यूजी और पीजी सब्जेक्टस से अलग है तो वह पीएचडी के विषयों से प्रोफेसर बन सकते हैा। इसके लिए यूजी और पीजी में सबंधित विषयों की अनिवार्यता नहीं होगी।