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राजनीति का रसातल:वो फ्री दे तो थैंक यू मोदी जी आप फ्री दे तो जनता मुफ्तखोर

फ्री फ्री फ्री!ये वो शब्द है जिससे वोट या तो इधर या तो उधर हो जाते है।2022 में चुनाव होने है तो तब तक ये फ्री शब्द ही सबसे ज़्यादा भुनाया जाएगा।अभी हाल ही में उत्तराखंड के दौरे पर आए आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड की जनता को 300 यूनिट फ्री बिजली देने की गारंटी क्या ली बीजेपी को तो मानो साँप सूंघ गया हो। बरसो से जनता को फ्री शब्द का प्रलोभन देती आयी बीजेपी को भला किसी अन्य पार्टी के द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल करना बुरा तो लगेगा ही। वैसे केजरीवाल के 300 यूनिट फ्री बिजली के एलान के बाद यहां की जनता ख़ुश तो बहुत हुई पर बीजेपी जब केजरीवाल के इस एलान से जलभुन गयी तो पार्टी के प्रवक्ता प्रभाकर उनियाल ने ऑनलाइन चल रहे एक वेबिनार में फ्री बिजली के इस एलान पर उत्तराखंड की जनता को भिखमंगी तक कह डाला । अब यहां की जनता भिखमंगी थोड़े ही है जो आपके इस प्रलोभन में आ जायेगी। दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भी फ्री बिजली का एलान कर दिया अब हुआ न ये विरोधाभास ! एक तरफ बीजेपी के प्रवक्ता फ्री बिजली पर कहते है कि यहां की जनता भिखमंगी थोड़े ही है वही पार्टी के मंत्री जी कहते है फ्री बिजली देंगे। मतलब अगर बीजेपी कुछ फ्री दे तो ठीक कोई दूसरी पार्टी फ्री में जनता का भला करने की सोचे तो जनता भिखमंगी कहलाती है इतना दोगलापन ये नेता लाते कहाँ से है ? पूरा देश कोरोना की मुफ्त वैक्सीन के विज्ञापन से पटा हुआ है जहां होर्डिंग्स पर थैंक यू मोदी जी लिखा हुआ है इसका भी क्या यही मतलब निकल जाए कि भारत की जनता भिखमंगी है जिसे प्रधानमंत्री मुफ्त वैक्सीन दे रहे है वो भी व्यक्तिगत रूप से ,क्या देश के संसाधनों में जनता का कोई रोल नही है क्या देश की संपत्ति में प्रत्येक नागरिक का कोई योगदान नही है मतलब सीधा सा है देश की जनता का पैसा देश की जनता को जब वैक्सीन बिजली पानी आवास आदि के रूप में निशुल्क मिलने लगता है तो उसका क्रेडिट सत्ता पक्ष ले जाता है । 




अरविंद केजरीवाल के 300 यूनिट बिजली फ्री करने के बयान पर हरक सिंह रावत ने भी बिजली फ्री करने के की बात की थी हालांकि खुद की किरकिरी होते देख बाद में हरक सिंह रावत ने अपना बयान तोड़मरोड़ कर पेश किया कि हम फ्री बिजली के प्रस्ताव की बात कर रहे है हमने फ्री बिजली देने का कोई वादा नही किया।

खैर यहां फ्री की बात चल रही है तो आपको बता दे कि देश मे आज़ादी के बाद जनता को बहुत कुछ फ्री में दिया गया है आप इतिहास के पन्नो को टटोल लीजिये।निम्न वर्ग के लोगो को फ्री राशन,फ्री सब्सिडी, हालांकि नेताओं आईएएस पीसीएस बड़े बड़े अधिकारियों,तमाम मंत्रियों इत्यादि को फ्री में ही बिजली पानी फ्री में कैंटीन का खाना बहुत सारी सुविधाएं सब फ्री में मिली हुई है यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी को भी फ्री बिजली पानी मिला होगा तो क्या ये सब भी भिखमंगे है? ये हम नही बीजेपी के प्रवक्ता के द्वारा कहे गए शब्दो के अनुसार मतलब निकाला गया है।भई फ्री का प्रलोभन देना राजनीति के दांव पेंचों का पहला पेंच माना जाता है और आज से नही बरसो से ये होता आया है ।दरअसल बीजेपी को आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड में आना खल रहा है इतनी चुभन तो अब बीजेपी को कांग्रेस से भी नही हो रही होगी जितनी अब आम आदमी पार्टी से होनी लगी है।उधर आम आदमी पार्टी की नेता ने भी उत्तराखंड की जनता की तुलना कुत्तों से कर दी थी एक यू ट्यूब चैनल इंटरव्यू के दौरान उमा सिसोदिया ने उत्तराखंड राज्य की जनता की तुलना सड़क के कुत्तों से की। उन्होंने अपने बयान में कहा कि"आपने देखा होगा कि खाने-पीने की दुकानों के सामने कुत्ते खड़े होते हैं। लोग उन कुत्तों को लतियाते हैं, जिसके कारण वे कुछ दूर चले जाते हैं। इसके बाद एक रोटी फेंकने पर कुत्ते पुनः पास आना शुरू हो जाते हैं। आज उत्तराखंड की जनता के हालात भी लगभग वही हो चुके हैं।”साथ ही, एक अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि ‘राज्य को नेगी, रावतों और पहाड़ी जाति के लोगों द्वारा लूटा गया’ है।उत्तराखंड में सत्ता के लालच में न जाने कौन सी राजनीति की जा रही कि अब कुत्तों भिखमंगो जैसे शब्दों का इस्तेमाल खुल्लमखुल्ला होने लगा है।उत्तराखंड में 2022 में कौन सी पार्टी जीतेगी कौन सी हारेगी ये तो फ़िलहाल नही कहा जा सकता लेकिन आज़ादी के इतने सालों बाद पहली बार गंदी राजनीति नेताओ के गंदे बोल घटिया सोच सामने आई है और हर बार की तरह मोहरा जनता को ही बनाया जा रहा है जनता के नाम पर ही लूट खसोट मचाई जा रही है कोई भी राजनीतिक दल किसी से कम नही है जिसको जब जहाँ मौके मिलते है वो वही जनता की आड़ में गाली भी दे देता है और जो मन आये वो बोलकर चला जाता है ये ठीक वैसा ही है जैसे दो लोग आपसी लड़ाई में मां बहन की गाली देते है जबकि उनकी लड़ाई में मां बहन का कोई रोल ही नही होता ठीक वैसे ही आजकल राजनीति में भी होने लगा है दो दलों की आपसी लड़ाई में जनता को गाली दी जा रही है और जनता से ही वोट की अपेक्षा की जाती है।

महज कुछ हज़ार करोड़ से बिजली पानी और आवास आदि फ्री हो सकता है लेकिन ऐसे वादे केवल चुनावी वर्ष में याद आते है और बिजली पानी मुफ्त के मायाजाल में फंसी जनता को अब समझना होगा कि कैसे सत्ता पक्ष अपने मित्रों के लाखों करोड़ के कर्ज चुटकियों में समाप्त कर देते है जिसकी कभी कोई चर्चा नही होती ।