भगवानों की जिन तस्वीरों को भारत मे अब तक पूजा जाता रहा है वो तस्वीरें किसने बनाई थी?पहली बार देवी देवताओं की तस्वीरों को बनाने वाला महान आर्टिस्ट कौन था?पहली ही पेंटिंग बिकी थी 11 करोड़ से ज़्यादा में,नीता अंबानी के एक बेशकीमती साड़ी में भी इसी कलाकर की बनाई गई पेंटिंग है

Who made the pictures of Gods that have been worshiped in India till now? Who was the great artist who made the pictures of Gods and Goddesses for the first time? The very first painting was sold for

सोशल मीडिया में इनदिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI द्वारा हिंदू धर्म ग्रंथो पर रिसर्च कर बनाई गई प्रभु श्री राम की फ़ोटो बहुत वायरल हो रही है। हालांकि ये तो कोई भी नही जानता वास्तव में प्रभु श्री राम कैसे दिखते थे,उनका वर्णन केवल पुस्तकों में किया गया है। इनदिनों प्रभु श्री राम की जो फ़ोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है उसे कई लोग पसन्द कर रहे है तो कई लोगो ने इन फ़ोटो को वामपंथी विचारधारा का बताते हुए फ़ोटो को शेयर न करने की अपील भी की है।

 

AI द्वारा कम्प्यूटर से बनाई गई ये फोटो अब विवादित बनने लगी है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज तक हम भगवानों की जिन फ़ोटो को घर के मंदिर में धार्मिक स्थलों में पूजते आये है वो भी एक कल्पना के आधार पर बनाई गई फोटोज ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि उन फोटोज पर कभी कोई विवाद नही हुआ। 

आइये आपको बताते है कि भगवानों की जिन फोटोज हर घर मे पूजा जाता रहा है उन फोटोज को कब और किसने बनाया था।


केसर-ए-हिंद' से सम्मानित राजा रवि वर्मा ऐसे पहले चित्रकार थे जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं को आम इंसान जैसा दिखाया था, आज तक हम फोटो, पोस्टर, कैलेंडर आदि में सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, राधा या कृष्ण की जो ही तस्वीरें देखते आये हैं वे ज्यादातर राजा रवि वर्मा की कल्पनाशक्ति की ही उपज हैं। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के किलिमानूर में हुआ था। इनके पिता का नाम एज्हुमविल नीलकंठन भट्टातिरिपद था जो एक पारंगत विद्वान थे, इनकी माता उमायाम्बा थम्बुरत्ति प्रसिद्ध कवि और लेखिका थीं।

 

चित्रकारी का शौक राजा रवि वर्मा को बचपन से ही था, बचपन में वे घर की दीवारों पर भी चित्र बना दिया करते थे। चित्र बनाने की प्रेरणा उन्हें अपने चाचा से मिली जो स्वयं भी चित्रकार थे। राजा रवि वर्मा के चित्रकारी के शौक को देखते हुए उनके चाचा उन्हें त्रावणकोर के राजमहल ले गए, जहां वॉटर पेंटिंग के महान चित्रकार रामास्वामी नायडू से उन्हें चित्रकारी की बारीकियां सीखने को मिली। उस समय राजा रवि वर्मा महज 14 साल के थे,  जल्दी ही उन्हें चित्रकला में महारत हासिल हो गई। इसके बाद उन्होंने मदुरै, मैसूर, बड़ौदा सहित देश के कोने-कोने में घूमकर अपनी चित्रकला को और भी निखारा। तब भारत में वॉटर कलर पेंटिंग का जोर था। 


राजा रवि वर्मा की एक अद्भुत पेंटिंग में रामायण का एक दृश्य दिखाया गया है, जिसमें रावण के सीता हरण के वक्त जटायू को संघर्षरत दिखाया गया है, उन्होंने माता सीता को बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे।

 


राजा रवि वर्मा ने भारतीय धर्मग्रंथों, पुराणों, महाकाव्यों में दिए गए पात्रों, देवी-देवताओं की कल्पना करके उन्हें चित्रों की शक्ल दी। इसके लिए उन्होंने वेद-पुराण इत्यादि का गहन अध्ययन भी किया था।  राजा रवि वर्मा को उनकी बनाई उत्कृष्ट पेंटिंग्स के लिए कई पुरुस्कार प्राप्त हुए, 1878 में विएना की एक प्रदर्शनी में जहां उन्हें उनकी चित्रकारी पर पुरस्कार दिया गया वहीं 1893 में शिकागो में हुए ‘वर्ल्डस कोलंबियन एक्स्पोजिसन’ में इनकी कलाकृतियों को तीन स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। सन 1904 में इन्हें ब्रिटिश इंडिया के वाइसराय लार्ड कर्जन ने देश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान 'कैसर-ए-हिन्द' प्रदान किया जिसे पाने वाले राजा रवि वर्मा पहले कलाकार थे। राजा रवि वर्मा के बनाए चित्रों का विशाल संग्रह वडोदरा के लक्ष्मीविलास पैलेस में देखा जा सकता है।

राजा रवि वर्मा ने अपने जीवन में 7000 से अधिक पेंटिंग्स बनाईं जिनमें दमयंती का हंस से बातें करना, शकुंतला को दुष्यंत की तलाश, नायर लेडी की अदाएं, शांतनु और मत्स्यगंधा की पेंटिग्स काफी फेमस हैं। रवि वर्मा द्वारा बनाई गई प्रसिद्ध पेंटिंग के साथ रवि वर्मा की तस्वीर भारत के पोस्टल स्टाम्प पर भी छापी जाती थी।

बताया जाता है कि करीब 125 साल पहले भगवान और देवी-देवताओं को सिर्फ मंदिरों में ही पूजा जाता था। कई जगह पर जातिगत भेदभाव के कारण कुछ जातियों के लोगों को मंदिर में प्रवेश की परमिशन नहीं थी। ऐसे में राजा रवि वर्मा ने ही भगवान, देवी-देवताओं की पेंटिंग बनाई और उन्हें एक रूप देकर फोटो के रूप में हर घर तक पहुंचाया।

 

राजा रवि वर्मा ने वाटर कलर पेटिंग रामा स्वामी नायडू से और ऑयल पेंटिंग डच आर्टिस्ट थिओडोर जेंसन से सीखी थी। रवि वर्मा ने जितने पोट्रेट बनाए वे सभी भारतीय पुराणों के कैरेक्टर्स पर बनाते थे लेकिन उस पोट्रेट में वे यूरोपीय टेक्नीक और ऑयल कलर यूज करते थे। इस कारण कई लोग उनके विरोधी हो गए थे। 1878 में विएना में राजा रवि वर्मा की पहली पेंटिंग एग्जीबिशन लगी और इसके बाद से वे और भी फेमस हो गए। फिर 1893 में शिकागो "वर्ल्डस कोलंबियन एक्स्पोजिसन' में उन्हें 3 गोल्ड मेडल भी मिले थे। इनकी पेंटिंग्स में लेडी पोट्रेट ज्यादा मिलेंगे। यूरोपीय आर्ट और टेक्नीक का इस्तेमाल करने के कारण इनकी पेंटिंग रियलिस्टिक लगती है।

राजा रवि वर्मा की पेंटिंग जिसका शीर्षक 'दमयंती' था, वो न्यूयॉर्क सेल ऑफ मॉर्डन आर्ट एंड कंटेंपरेरी साउथ एशियन आर्ट में 11.9 करोड़ रुपए में बिकी थी। सन 2007 में उनके द्वारा बनाई गई एक कलाकृति लगभग सवा मिलियन डॉलर में बिकी जिसमें उन्होंने त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेम्पल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया था। 


राजा रवि वर्मा का विवादों से भी नाता रहा. उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने उर्वशी, रंभा जैसी अप्सराओं की अर्द्धनग्न(न्यूड) तस्वीरें बनाईं. लोगों ने इसे हिंदू धर्म का अपमान माना. इस कारण उन्हें सवालों के कटघरे में खड़े करते हुए उन पर मुकदमे भी दर्ज हुए.

2 अक्तूबर 1906 को महज 58 वर्ष की उम्र में राजा रवि वर्मा का देहांत तिरुवनंतपुरम में हो गया। भारतीय कला में महान योगदान देने वाले इस दिग्गज कलाकार को भारत में काफी सराहा गया। उनके नाम से केरल सरकार ने एक पुरस्कार’ की स्थापना की जो कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए हर साल दिया जाता है। केरल मवेलीकारा में राजा रवि वर्मा के सम्मान में एक फाइन आर्ट कॉलेज की स्थापना की गई और किलिमनूर स्थित एक हाई स्कूल का नाम राजा रवि वर्मा के नाम पर रखा गया। सन 2013 में बुद्ध ग्रह पर एक क्रेटर का नाम भी राजा रवि वर्मा के नाम पर रखा गया। 

शायद आपको ये भी पता होगा कि राजा रवि वर्मा के जीवन और उनके संघर्ष पर 2014 एक हिन्दी फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम था ‘रंग रसिया’। केतन मेहता के निर्देशन में इस फिल्म को रंजीत देसाई के बायोग्राफिकल नॉवेल पर बनाया गया था। इस फिल्म में राजा रवि वर्मा की भूमिका अभिनेता रणदीप हुडा ने निभाई है।

 

गिनीज बुक में दर्ज जो सबसे महंगी साड़ी है उसकी कीमत  40 लाख की है,और ये साड़ी नीता अंबानी के पास है,उन्होंने 2014 में एक शादी फंक्शन में ये साड़ी पहनीं थी,शादी थी रिलाइंस ग्रुप के CEO पीरामल नाथवानी के लड़के की। और साड़ी में जो पेंटिंग है वो राजा रवि वर्मा की ही बनाई गई है। इसी बात का तो पैसा लगा है,इस साड़ी को सजाने में 36 लोग लगे थे,और ये साड़ी एक साल में बनकर तैयार हुई थी।

आपको ये भी बता दे कि सुगंधा नाम की एक लड़की हुआ करती थी,ऐसा कहा जाता है कि रवि वर्मा अपनी पेंटिंग्स और पोर्ट्रेट के लिए सुगंधा से ही पोज कराया करते थे,उस समय दोनों को लेकर काफी खुसर-फुसर हुआ करती थी, कहा जाता है कि उनकी लगभग सभी पेंटिंग्स में जिस एक लड़की चेहरा दिखता है वो सुगंधा ही है,और इसी का रोल रंगरसिया में नंदना सेन ने निभाया था.