भोगनाडीह में पुलिस और शहीद के वंशजों के बीच हिंसक झड़प, छोड़े गए आंसू गैस, पुलिस पर भी पथराव

साहिबगंज। हूल दिवस पर सिदो कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में ग्रामीणों और पुलिस के बीच विवाद हो गया। माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण हो गया। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। जिसके बाद भगदड़ मच गई। ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पथराव भी किया। बताया जा रहा है कि तीर भी चलाए गए। कुछ पुलिस कर्मियों के घायल होने की खबर है। जिसके बाद पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
दरअसल हूल दिवस हर साल 30 जून को मनाया जाता है। 30 जून 1855 को सिदो कान्हू ने भोगनाडीह में ही हुल क्रांति की शुरुआत की थी। इसके सम्मान में हर साल भोगनाडीह में राजकीय कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। सिदो कान्हू हूल फाउंडेशन और अतु मांझी बैसी के बैनर तले भोगनाडीह में हर साल पंडाल लगाया जाता है। हूल दिवस पर वंशज मंडल मुर्मू के परिजन और परिवार के अन्य सदस्य सिदो कान्हू की पूजा करते हैं और गंगा के पवित्र जल में स्नान कराते हैं। उसके बाद ही मुख्यमंत्री या कोई अन्य पूजा व माल्यार्पण करता है। लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने वंशजों को इसकी अनुमति नहीं दी गई. प्रशासन के मौखिक आदेश पर सुबह 10 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद पूजा करने की अनुमति दी गई थी। इसको लेकर वंशज के परिजन पिछले तीन दिनों से आक्रोशित हैं। पुलिस ने अस्थायी पंडाल को हटा दिया था। इसके विरोध में वंशज के परिजन व समर्थकों ने सोमवार की सुबह सिदो कान्हू भोगनाडीह पार्क में ताला जड़ दिया। साथ ही किसी के लिए भी पूजा की अनुमति पर रोक लगा दी गई। पुलिस प्रशासन ने इसे खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन समर्थक अड़े रहे। इस बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। जिससे भगदड़ मच गई। समर्थकों ने पुलिस पर पथराव व तीर भी चलाए. बताया जा रहा है कि तीर व पथराव से तीन से चार पुलिस कर्मी घायल हुए हैं. सभी को इलाज के लिए भेजा गया है। घटना के बाद पूरे इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। फिलहाल माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण है। पूरे मामले को लेकर उपायुक्त हेमंत सती ने फोन पर बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। सरकारी कार्यक्रम सुचारू रूप से चल रहा है।
गौरतलब है कि वंशज मंडल मुर्मू के परिजनों ने जिला प्रशासन से पंडाल लगाने और पूजा करने की लिखित अनुमति मांगी थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। यहीं से आक्रोश पनपना शुरू हुआ। चूंकि शहीद सिदो कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू इस बार भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके संगठन के बैनर तले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। अपने प्रोटोकॉल के आधार पर जिला प्रशासन नहीं चाहता था कि सरकारी कार्यक्रम में किसी तरह का विवाद हो। पहले दिन मंडल मुर्मू के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला गया। इसके जरिए पुलिस प्रशासन का विरोध किया गया। शनिवार की रात कार्यक्रम के लिए पंडाल बना रहे 13 मजदूरों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके विरोध में सिदो कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने पारंपरिक हथियारों के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और सिदो कान्हू पार्क में ताला जड़ दिया। साथ ही चुड़का खोदकर सरकारी कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे पंडाल के काम को रोक दिया। इस मामले में पुलिस प्रशासन और शहीद के वंशज मंडल मुर्मू व अन्य लोगों से वार्ता हुई। लेकिन आंदोलनकारी 13 मजदूरों को छोड़ने और कार्यक्रम की अनुमति देने पर अड़े रहे। बाद में हिरासत में लिए गए मजदूरों को छोड़ा गया और कार्यक्रम की मौखिक अनुमति दी गई। लेकिन इसके बाद हंगामा हो गया।