1975 से बिना सुविधाओं के जी रहे सुंदरखाल के ग्रामीण! हाईकोर्ट में राज्य सरकार से जवाब-तलब,सरकार ने पेश किया मुआवजा प्रस्ताव
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे सुंदरखाल क्षेत्र में 1975 से रह रहे ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखने और अब तक विस्थापन न किए जाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को अवगत कराया कि सुंदरखाल के निवासियों को विस्थापित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है, लेकिन सभी ग्रामीणों को एक साथ बसाने के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सरकार ने बताया कि इसके समाधान के रूप में एक प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसके तहत विस्थापित परिवारों को 10 से 15 लाख रुपये तक की धनराशि दी जाएगी, ताकि वे अपनी सुविधा अनुसार नया आवास तैयार कर सकें।
यह जनहित याचिका समाजसेवी संस्था इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी की ओर से दायर की गई है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली बताया कि याचिका में कहा गया है कि सुंदरखाल में 1975 से निवास कर रहे लोगों को आज तक बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं। ग्रामीण कई वर्षों से स्वयं भी सुरक्षित विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं। वर्ष 2014 में सरकार ने इस दिशा में एक कमेटी गठित कर विस्थापन का निर्णय लिया था, लेकिन उस पर अमल अब तक नहीं हो पाया।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की है कि या तो सुंदरखाल के ग्रामीणों को तत्काल विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए, या फिर सरकार उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराए।