उत्तराखंड का एक ऐसा अनोखा मंदिर वंशीनारायण जहां साल भर में रक्षाबंधन की होती है पूजा।

Vanshinarayan is a unique temple of Uttarakhand where Rakshabandhan worship is done throughout the year.

जोशीमठ
हिमालय की वादियों में 12000 फीट की ऊंचाई पर उर्गम घाटी से लगभग 12 किमी की पैदल यात्रा कर पहुंचा जाता है वंशीनारायण मंदिर जहां केवल साल भर में एक ही दिन रक्षाबंधन के अवसर पर दिव्य पूजा होती है। नाम से भले ही लगता है कि कृष्ण का मंदिर होगा पर यहां भगवान विष्णु चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं और साथ ही गणेश तथा वन देवियों की मूर्ति भी यहां स्थापित हैं । तो देखिये क्या कुछ है िस मंदिर में खास और क्यों सिर्फ रक्षा बंधन पर ही होती है इस मंदिर में पूजा, देखिये ये रिपोर्ट। 

भगवान शिव व विष्णु का यह अनोखा मंदिर है। वंशीनारायण, इस मंदिर का नाम क्यों वंशीनारायण पड़ा यह इतिहास के गर्भ में ही है,  कहा जाता है कि वनदेवियां शिव व विष्णु की संयुक्त रूप से होने के कारण वंशीनारायण पड़ा हो, कत्यूरी शैली में बना मन्दिर सुन्दर पत्थरों को तराश कर बनाया गया है, लोक कथाओं के अनुसार पाण्डव इस मन्दिर को इतना बड़ा बनाना चाहते थे कि जहां से बद्री - केदार की एक साथ पूजा हो सके किन्तु निर्माण कार्य रात्रि में ही सम्पन्न होना था। देवयोग से यह पूरा नहीं हो पाया। आज भी भीम द्वारा लाये गये विशाल शिलाखण्ड यहां मौजूद हैं।
लोक कथाओं के अनुसार जब वामन अवतार नारायण ने राजा बलि के वचन के अनुसार धरती आकाश नाप लिया तो राजा बलि ने तीसरा पग अपने सर पर रखने के लिए वामन भगवान से कहा तो पग रखते ही वामन भगवान नारायण राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गये और बलि के दरबार में द्वारपाल बन गये। इधर नारायण को न पाकर लक्ष्मी परेशान हो गयी तो नारद जी के पास गयी। नारद ने भगवान नारायण को पाताल लोक में बलि के दरबार में द्वारपाल होने की बात कही। लक्ष्मी ने नारद से पाताल लोक जाने का अनुरोध किया।
नारद लक्ष्मी के साथ पाताल लोक में चले गये। देवी लक्ष्मी ने रक्षाबंधन के दिन राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा और बलि ने देवी लक्ष्मी को वरदान मांगने के लिए कहा तो लक्ष्मी ने पति मांगा जो राजा बलि के दरबार में द्वारपाल बने थे। राजा बलि ने देवी लक्ष्मी के पति को मुक्त कर दिया। इस दिन वंशीनारायण की पूजा-अर्चना मनुष्यों द्वारा की गयी, इसलिए इस दिन वर्षभर में रक्षाबंधन के दिन ही पूजा अर्चना कलगोठ के जाख देवता के पुजारी द्वारा की जाती है।

ऋषिकेश से चमोली बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से उर्गम घाटी के ग्राम पंचायत देवग्राम पहुंचकर कल्पेश्वर उर्वा ऋषि महादेव बांसा या देवग्राम गीरा बडोई होते हुए वंशीनारायण पहुंचा जाता है।