उत्तराखंड रजत उत्सव: हिमालयी कला, संगीत और संस्कृति का होगा समागम, देश-विदेश के कलाकार देंगे प्रस्तुति
इस 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड राज्य गठन को 25 साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार इस 25वें साल को देवभूमि रजत उत्सव के रूप में मना रही है। इसके तहत प्रदेश भर में विभागों की ओर से अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा 1 से 9 नवंबर तक विशेष आयोजन ‘निनाद – हिमालय कला, संगीत और संस्कृति उत्सव’ आयोजित किया जा रहा है। यह उत्सव न केवल उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा, बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र की विविध परंपराओं को एक मंच पर लाने का प्रयास भी होगा। संस्कृति विभाग के सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि निनाद उत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड राज्य की 25वीं वर्षगांठ को यादगार बनाना है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों जैसे भूटान और तिब्बत के कलाकार भी हिस्सा लेंगे। नौ दिन तक चलने वाले इस सांस्कृतिक महोत्सव में रोज तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लोक नृत्य, संगीत, नाट्य प्रस्तुतियों के साथ ही पैनल चर्चाएं और कार्यशालाएं भी होंगी।
एक नवंबर को कार्यक्रम का शुभारंभ होगा, जिसमें पारंपरिक लोक नृत्य और भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय पौड़ी के छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुति होगी। उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाएंगी प्रसिद्ध जागर गायिका रामेश्वरी भट्ट, नागालैंड की यूलिखेरी टीम, और पद्मश्री सुरेश वाडेकर की विशेष प्रस्तुति। इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के सांस्कृतिक दल द्वारा प्रसिद्ध ‘नाटी’ नृत्य, ओडिशा नृत्य, तिब्बतन इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, असम के लोक नृत्य, मणिपुरी बसंत रासलीला, जम्मू-कश्मीर के लोक नृत्य, और ‘सिंफनी ऑफ हिमालयाज’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उत्तराखंड के गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी और थारू जनजातीय नृत्य भी दर्शकों को राज्य की विविध संस्कृति से रूबरू कराएंगे। सिर्फ प्रस्तुतियां ही नहीं, बल्कि निनाद में विभिन्न विषयों पर पैनल डिस्कशन भी होंगे। 2 नवंबर को ‘उत्तराखंड में सिनेमा’, 3 नवंबर को ‘लोक भाषा और संस्कृति’, 4 नवंबर को ‘हिमालय का रंगमंच’, 6 नवंबर को ‘नंदा राजजात’, और 7 नवंबर को ‘हिमालय की खानपान विरासत और उत्तराधिकार’ जैसे विषयों पर चर्चाएं होंगी। विशेषज्ञ, लेखक और कलाकार इन चर्चाओं में अपने विचार साझा करेंगे। संस्कृति विभाग की ओर से यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस उत्सव के माध्यम से स्थानीय शिल्प, हस्तकला और उत्पादों को बाजार से जोड़ा जाए। इसके लिए एक विशेष “हिमालयी उत्पाद प्रदर्शनी” का भी आयोजन होगा, जहां उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों के उत्पाद प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। युगल किशोर पंत ने बताया कि सभी कार्यक्रम जनसामान्य के लिए निःशुल्क होंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग इस सांस्कृतिक उत्सव का आनंद ले सकें। उन्होंने बताया कि “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर सीट बुकिंग की व्यवस्था की गई है। ‘निनाद – हिमालय कला, संगीत और संस्कृति उत्सव’ का आयोजन देहरादून के गढ़ीकैंट स्थित हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में किया जाएगा। यह उत्सव उत्तराखंड की सांस्कृतिक जड़ों को सहेजने और आने वाली पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने का प्रयास है। देवभूमि की रजत जयंती पर यह उत्सव न केवल राज्य की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है, बल्कि एक संदेश भी कि उत्तराखंड अपनी कला, संस्कृति और लोक परंपरा के प्रति गहराई से जुड़ा हुआ है। नौ दिनों तक चलने वाला यह आयोजन पूरे प्रदेश को संगीत, नृत्य, और संस्कृति के रंगों से सराबोर कर देगा।