उत्तराखंड:आरएसएस के 100 वर्ष पूरे! शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन पर जोर, 20 लाख परिवारों तक पहुंचेगा संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी वर्ष के अवसर पर व्यापक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। इस अवसर पर संघ ने प्रदेशभर में “पंच परिवर्तन” के संकल्प के साथ एक साल तक विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत उत्तराखंड के जिलों में ,1मंडल, बस्ती और नगर स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। आरएसएस का लक्ष्य है कि इस वर्ष भर चलने वाले अभियान के माध्यम से राज्य के 20 लाख परिवारों तक पहुंच बनाई जाए।
संघ के पदाधिकारियों के अनुसार, आपदाग्रस्त क्षेत्रों को इन कार्यक्रमों से फिलहाल अलग रखा गया है, लेकिन उनके आसपास के इलाकों में आयोजन किए जाएंगे ताकि प्रभावित लोगों की दिनचर्या में किसी प्रकार की बाधा न आए। शताब्दी वर्ष के दौरान आरएसएस का प्रमुख फोकस “पंच परिवर्तन” पर रहेगा, जिसमें पांच मूल विषयों पर काम किया जाएगा। स्व परिवर्तन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और धर्म जागरण। पहले चरण में “स्व परिवर्तन” के तहत स्वयंसेवकों से आग्रह किया जाएगा कि वे स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग, भारतीय भाषाओं का सम्मान और संस्कार आधारित जीवनशैली को अपनाएं। दूसरा परिवर्तन “सामाजिक समरसता” से जुड़ा है, जिसके माध्यम से समाज में समानता और भाईचारे का संदेश दिया जाएगा। तीसरा “पर्यावरण एवं जल संरक्षण” अभियान होगा, जिसमें पानी बचाने, पेड़ लगाने और पॉलिथीन से मुक्ति के लिए जनजागरण किया जाएगा। चौथा “कुटुंब प्रबोधन” अभियान परिवार संस्था को सशक्त बनाने पर केंद्रित रहेगा। इसके अंतर्गत पारिवारिक मूल्यों, संवाद और परस्पर सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम होंगे। पांचवां “धर्म जागरण” का उद्देश्य स्वयंसेवकों और समाज को अपने धार्मिक मूल्यों को जानने, अपनाने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करना है। आरएसएस के प्रदेश अधिकारियों का कहना है कि यह शताब्दी वर्ष केवल उत्सव नहीं बल्कि “संघ के आत्ममंथन और राष्ट्र निर्माण के संकल्प” का वर्ष होगा। पंच परिवर्तन कार्यक्रमों के जरिए संघ समाज के हर वर्ग तक पहुंच बनाकर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के लक्ष्य को साकार करने का प्रयास करेगा।