उत्तराखंड पोलखोल:आरटीआई से खुला कांग्रेस और बीजेपी की झूठी घोषणाओं का पिटारा,पिछले दस वर्षों में की 9245 घोषणाएं पूरी हुई दहाई के आंकड़े में

Uttarakhand Polkhol: If Congress and BJP's box of false announcements open from RTI, then they will definitely ask if they come to ask for votes

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अब तक अगर ये पूछा जाए कि यहां सत्ता की कुर्सी पर बैठी सरकारों ने कितनी घोषणाएं की और कितनी घोषणाओं की अमलीजामा पहनाया गया तो यकीन मानिए घोषणाएं अगर पहाड़ की तरह बड़ी बड़ी की गई तो उन्हें पूरा राई के बराबर ही किया गया। ये खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में हुआ है। उत्तराखंड में बीते दस वर्षों में अब तक कुल 9245 घोषणाएं की गई और इनमें से पूरी केवल 18 घोषणाएं ही हो पाई है। कई घोषणाएं शासन स्तर पर ही लंबित है।कई तो शुरू भी नही हुई लेकिन कागजी तौर पर शुरू हो चुकी है। 
हल्द्वानी निवासी हेमंत गोनिया ने जनवरी 2022 को आरटीआई के तहत पिछले दस सालों में कुल घोषणाओं का ब्यौरा मांगा था जिसमे खुलासा हुआ कि बीते दस सालों में 9245 घोषणाओं में से 18 घोषणाएं पूरी हुई 5073 घोषणाओं के शासनादेश हो पाए,2817 घोषणाएं शासन स्तर पर लंबित है,1337 घोषणाएं धरातल पर अधूरी है। इन घोषणाओं में सबसे ज्यादा लोक निर्माण विभाग से सम्बंधित है। लोक निर्माण विभाग से जुड़ी 2869 घोषणाओं में से मात्र 4 ही पूरी हो पाई है।

आइये अब एक नज़र डालते है इन दस सालों में कौन कौन मुख्यमंत्री उत्तराखंड में रहे जिन्होंने घोषणाएं तो की लेकिन उन्हें पूरा करने में फेल साबित हुए।
पिछले दस सालो में उत्तराखंड में सात मुख्यमंत्री कुर्सी पर बैठे,इनमें डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, बीसी खंडूरी,विजय बहुगुणा, हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी शामिल है। इन मुख्यमंत्रियों पर गौर करे तो बीजेपी के ज़्यादा और कांग्रेस के कम मुख्यमंत्री रहे।

पिछले दस सालों में इन दोनों दलों ने उत्तराखंड का कितना विकास किया? घोषणाएं की गई तो उन्हें पूरा क्यो नही किया गया? घोषणाओं के लिए बजट भी पारित किया गया,फिर घोषणाएं अधूरी क्यों?