उत्तराखंड हाईकोर्ट:प्लास्टिक बैन को लेकर राज्य के सभी जिलों के डीएम से नाराज़ हुआ हाईकोर्ट!अब तक किसी भी डीएम ने पेश नही की रिपोर्ट

Uttarakhand High Court: High Court got angry with DM of all districts of the state regarding plastic ban! No DM has submitted report till now

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्लास्टिक प्रतिबंध के मामले पर दायर जनहित याचिका में आज सुनवाई की। कोर्ट ने 13 जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा अभी तक रिपोर्ट पेश न करने को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें अतरिक्त समय देते हुए रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट की खंडपीठ ने हल्द्वानी मेडिकल कालेज, फारेस्टर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सहित मंडी बाईपास रोड पर फैले कूड़े को लेकर नगरनिगम कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के साथ ही 28 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कावड़ मेले के दौरान वहां फैले कूड़े को लेकर अभी तक क्या कदम उठाए है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि राज्य में पर्वतारोहियों के लिए 30 चोटिया खोली जा रही है वहा साफ सफाई और कूड़ा निस्तारण की क्या व्यवस्था की गई है। कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण बोर्ड से सभी चोटियों का इनवायरमेंटल आडिट कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है 
       आपकों बता दे कि अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी, परन्तु  इन नियमों का पालन नही किया जा रहा है। 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे जिसमे उत्पादकर्ता को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे। अगर नही ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम , नगर पालिका को फंड देंगे जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें परन्तु उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नही किया जा रहा है।