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उत्तराखंड HC:प्लास्टिक पर हाईकोर्ट सख्त!दूसरे राज्यो से आ रही अवैध प्लास्टिक की थैलियों पर भी रोक लगाने के दिये निर्देश! और क्या कहा कोर्ट ने जानिए लिंक में

Uttarakhand HC: High Court strict on plastic! Instructions given to ban illegal plastic bags coming from other states too!  Know what else the court said in the link

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में प्रतिबंध के बावजूद प्रयोग लाई जा रही प्लास्टिक की थैलियों के मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिये कि इस पर पूर्ण रोक लगाएं। अदालत ने कहा कि राज्य की सीमा पर सघन जांच अभियान चलाएं। इसकी जिम्मेदारी वाणिज्य कर विभाग को सौंपी गयी है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्णतः प्रतिबंध है लेकिन इसके बावजूद धड़ल्ले से प्लास्टिक की थैलियां प्रचलन में हैं। दूसरे राज्यों से पालीथीन की थैलियों की आपूर्ति की जा रही है। सरकार इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कूड़ा वाहनों में अदालत के आदेश के बावजूद आज तक जीपीएस सिस्टम नहीं लगाये गये हैं न ही वन पंचायतों के नक्शे वेबसाइट पर अपलोड किये गये हैं जो भी नक्शे अपलोड किए गए हैं, वह बेहद धुंधले हैं। यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से प्लास्टिक कूड़ा उत्तराखंड प्लास्टिक वेस्ट एंड अदर नॉन बायो डिग्रेडेबल गारबेज एक्ट, 2013 के अनुपालन के लिए अभी तक नियमावली नहीं बनाई गई है। साथ ही प्लास्टिक उत्पादों क्यूआर कोड लागू नहीं किया गया है।

मामले को सुनने के बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिए कि दूसरे राज्यों से आ रही पालीथीन की थैलियों पर पूर्ण रोक लगाएं। इसके लिए राज्य की सीमाओं पर सघन जांच अभियान चलाएं। वाणिज्य कर विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। यह भी कहा गया कि पुलिस और अन्य महकमों की मदद से इस पर रोक लगाई जाए। अदालत ने कूड़ा वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाने और सभी वन पंचायतों के नक्शे चार सप्ताह में वेबसाइट पर अपलोड करने के भी निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि इसमें असफल रहने पर सचिव वन और राजस्व अगली तिथि पर अदालत में पेश होंगे।

यही नहीं अदालत ने उत्तराखंड प्लास्टिक वेस्ट एंड अदर नॉन बायो डिग्रेडेबल गारबेज एक्ट, 2013 का सही अनुपालन के लिये छह माह में नियमावली तैयार करने और उत्पादों पर क्यूआर कोड लागू करने के निर्देश दिये हैं। यह भी कहा कि असफल रहने पर शहरी विकास विभाग के सचिव अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होंगे। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2022 में दायर जनहित याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से प्लास्टिक जनित कूड़ा पर प्रतिबंध की मांग करते हुए कहा गया कि प्रदेश में प्लास्टिक जनित कूड़ा पर नियंत्रण नहीं लगाया जा सका है। प्लास्टिक जनित कूड़ा के जगह जगह इसके ढ़ेर लगे हैं। पर्यटक शहर और धार्मिक शहर भी इससे प्रभावित हैं।