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उत्तराखण्डः अतिवृष्टि के बाद अब झेलनी पड़ेगी कड़ाके की ठंड! मानव जीवन पर पड़ेगा गहरा असर, पर्यावरणविदों ने जताई गहरी चिंता

Uttarakhand: After heavy rainfall, we will now face severe cold! Environmentalists express deep concern about the profound impact on human life.

रुद्रप्रयाग। भारतीय मौसम विभाग की माने तो इस बार प्रदेश में ठंड का प्रकोप अत्यधिक रहेगा। इस खबर ने पर्यावरणविदों और बुद्धिजीवियों को चिंता में डाल लिया है। पर्यावरणविदों की माने तो इस वर्ष अत्यधिक मात्रा में बारिश हुई, जिस कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए। अब अत्यधिक ठंड की खबर ने चिंता में डाल लिया है। ऐसा होने से मनुष्य और जीव-जंतुओं के साथ ही पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुंचने की संभावना है। बता दें कि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आने वाले दिनों में अत्यधिक ठंडक होने का अनुमान लगाया गया है। जहां इस वर्ष मौसम विभाग की ओर से समय-समय अत्यधिक बारिश होने का अनुमान लगाने पर तेज बारिश के कारण बाढ़-आपदा जैसे हालातों का सामना करना पड़ा, वहीं अब कंपकंपाती ठंड को लेकर भी परेशान होना पड़ेगा। मौसम में आए इन बदलावों से जहां पर्यावरणविदों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ने लगी हैं, वहीं बुद्धिजीवी इसके लिए हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को कारण मान रहे हैं।

भारतीय मौसम विभाग ने दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक अत्यधिक ठंडक रहने की बात कही है। इसमें खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा असर पड़ेगा। मौसम विभाग की माने तो इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से 0.5.1 डिग्री कम होगा। खासकर जनवरी-फरवरी में ठंडी हवाओं की लहर की संभावना है। इस साल मौसम का पूर्वानुमान सटीक साबित हुआ है। बेमौसम बारिश आने और अत्यधिक बारिश होने से उत्तरकाशी के धराली, चमोली के थराली और इसके बाद रुद्रप्रयाग जिले के छेनागाड़ में तबाही देखने को मिली है। आपदा में बड़ी संख्या में जनहानि होने के साथ मशुओं को भी नुकसान पहुंचा, जबकि लोगों ने अपने आशियानों तक को खोया है। मौसम परिवर्तन का असर मानव की जीवनशैली पर पड़ ही रहा है। साथ ही जीव-जंतुओं का अस्तित्व भी समाप्त हो रहा है, जिसको लेकर पर्यावरणविद गहरी चिंता जता रहे हैं, जबकि बुद्धिजीवी भी भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं मान रहे हैं। सीनियर सिटीजन हरीश गुंसाई एवं अनुसूया प्रसाद मलासी ने कहा कि पिछले माह ही बर्फबारी हुई है। जो बर्फबारी नवंबर और दिसम्बर माह में देखने को मिलती थी, वह अब पहले ही देखने को मिल रही है। मौसम के बदलाव से पेड़ों पर फूल पहले ही देखने को मिल रहे हैं। हरीश गुंसाई ने कहा कि जून से बारिश की शुरूआत हुई, जो अक्टूबर तक चली। इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा आई हैं। मौसम के मिजाज में अंतर देखने को मिल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। उत्तराखण्ड और हिमाचल इसके उदाहरण हैं। अतिवृष्टि से बादलों के फटने की घटनाएं हो रही हैं। पहले भूस्खलन की घटनाएं कम होती थी, मगर अब पहाड़ी क्षेत्रों में चहुमुखी विकास अनियोजित तरीके से होने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है। चारधाम परियोजना निर्माण में एएसआई की रिपोर्ट नहीं लगी है, जिस कारण आज हाईवे के जगह.जगह भूस्खलन हो रहा है। केदारघाटी के देवी प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि पहले समय से बारिश होती थी, मगर अब ऋतुओं में काफी परिवर्तन आ गया है। ग्रीष्म, बसंत और शीत ऋतुओं में परिवर्तन हुआ है। यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।

मौसम चक्र में गड़बड़ी से हार्ट के मरीजों को होंगी दिक्कतें
पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि मौसम का चक्र बदल रहा है। जहां मौसम विभाग के अनुसार 2024 में अत्यधित गर्मी दर्ज हुई है, वहीं इस वर्ष अत्यधिक बारिश देखने को मिली है। मौसम चक्र में गड़गड़ी से इंसान के जीवन के साथ ही जीव-जंतुओं पर भी बुरा असर पड़ा है, जबकि पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। अत्यधिक सर्दी से खून का गाड़ा होना के साथ हार्ट के मरीजों को दिक्कतें होंगी। जबकि वनस्पतियों पर भी इसका नुकसान देखने को मिलेगा।