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देहरादून का अनुपमा गुलाटी हत्याकाण्डः सात साल का प्यार, शादी और हत्या! सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने पत्नी को 72 टुकड़ों में काटा था, खूनी वारदात की कहानी सुन आज भी कांप उठता है कलेजा

The Anupama Gulati murder case in Dehradun: Seven years of love, marriage, and murder! A software engineer cut his wife into 72 pieces; the story of the bloody incident still sends shivers down the s

देहरादून। राजधानी देहरादून के अनुपमा गुलाटी हत्याकाण्ड मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। इस खौफनाक हत्याकाण्ड मामले में सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी पर 17 अक्टूबर, 2010 को अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की बेरहमी से हत्या करने, उनके शरीर के 72 टुकड़े करने और उन्हें डीप फ्रीजर में रखने का आरोप था। सितंबर 2017 को देहरादून की अदालत ने राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने आदेश दिया है कि 70,000 रुपये सरकारी खजाने में जमा किए जाएं, जबकि शेष राशि अनुपमा के बच्चों के वयस्क होने तक बैंक में रखी जाए। मामले में राजेश गुलाटी ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी, जिसपर हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को बरकरार रखा। बता दें कि अनुपमा गुलाटी की हत्या का मामला 12 दिसंबर, 2010 को तब सामने आया, जब अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया था। 15 साल पहले अमेरिका से लौटे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी थी और उसके शव को 72 टुकड़ों में काटा था और सबूत मिटाने के लिए शवों के टुकड़ों को शहर के अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था। मामला अक्टूबर 2010 का है। खबरों के मुताबिक 17 अक्टूबर 2010 की रात को झगड़े के दौरान पति राजेश ने अनुपमा को थप्पड़ मारा था, जिससे अनुपमा का सिर दीवार से टकराया और वह बेहोश हो गई। डर के मारे कि कहीं वह होश में आकर शिकायत न कर दे, राजेश ने निर्ममता से उसकी हत्या कर दी। राजेश ने इलेक्ट्रिक की आरी और डीप फ्रीजर खरीदा, पत्नी अनुपमा के शव को 72 टुकड़ों में काटा और प्लास्टिक बैग्स में रखकर फ्रीजर में छिपा दिया। उसके बाद वो धीरे-धीरे इन टुकड़ों को देहरादून के सुनसान इलाकों में एक-एक कर फेंकता रहा। 2017 में देहरादून की अदालत ने राजेश को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई और इसके साथ ही 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद राजेश गुलाटी ने निचले अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और 8 साल चली सुनवाई के बाद बीते बुधवार को जस्टिस रविंद्र मैथानी और जस्टिस आलोक महरा की बेंच ने उसकी अपील खारिज कर दी और निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।

प्यार, शादी और हत्या
खबरों के अनुसार सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी और अनुपमा की मुलाक़ात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए 1992 में हुई थी और सात साल के अफेयर के बाद दोनों ने 10 फ़रवरी 1999 को शादी कर ली थी। साल 2000 में राजेश और अनुपमा अमेरिका शिफ्ट हो गए, लेकिन यहीं से दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई थी, जिससे परेशान अनुपमा 2003 में इंडिया लौट आई। लेकिन 2005 में राजेश उसे मनाकर फिर अमेरिका ले गया। दोनों के बीच सब ठीक रहा और अनुपमा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। 2008 में दोनों अपने बच्चों के साथ भारत लौट आए और देहरादून में रहने लगे। लेकिन दोनों के बीच झगड़े होते रहे और बात घरेलू हिंसा और संरक्षण अधिकर्ताक तक पहुंच गई। राजेश को फटकार लगाई गई और उसे अनुपमा को 20 हजार रुपए महीने देने का आदेश दिया गया। एक महीने तो राजेश ने रुपए दिए, लेकिन 17 अक्टूबर 2010 को दोनों के बीच फिर झगड़ा हुआ और राजेश ने अनुपमा को बेरहमी से मार डाला।

अनुपमा के भाई का दोस्त पासपोर्ट कर्मचारी बनकर पहुंचा घर तो खुला राज
आरोपी राजेश गुलाटी पत्नी अनुपमा की हत्या और शव के टुकड़े करने के बाद भी सामान्य था। उसने पूरी प्लानिंग की थी। जब बच्चों ने मां के बारे में पूछा तो राजेश ने उन्हें बताया कि वह नानी के घर चली गई है। राजेश बच्चों को घुमाने के बहाने शव के टुकड़ों को अलग-अलग जगह फेंकता रहा। इस बीच जब अनुपमा के घर वालों से उसकी बात नहीं हुई तो शक हुआ। अनुपमा के भाई ने अपने एक दोस्त को पता करने के लिए कहा। भाई का दोस्त 11 दिसंबर को पासपोर्ट कर्मचारी बनकर जब घर पहुंचा तो उसने बताया कि अनुपमा दिल्ली में हैं। इसके बाद अनुपमा के भाई और परिजनों ने जब राजेश पर दबाव बढ़ाया तो राजेश को पता चल गया कि अब जल्द ही उसकी पोल खुलने वाली है। ये सोचकर उसने विदेश भागने की तैयारी भी शुरू कर दी, लेकिन 12 दिसंबर को अनुपमा का भाई पुलिस के साथ पहुंचा। पुलिस ने राजेश को गिरफ्तार कर जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच उगल दिया।