उत्तराखंड के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का चाक-डाउन! ठप हुआ पढ़ाई का माहौल,आंदोलन तेज करने की चेतावनी

रुद्रपुर। राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड की प्रांतीय कार्यकारिणी के आह्वान पर आज 18 अगस्त से राज्यभर के सभी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों ने चाक-डाउन कर एक दिन का कार्य बहिष्कार किया। इस दौरान विद्यालयों में शिक्षण कार्य पूरी तरह ठप रहा और छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित रही। शिक्षक संघ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन और उग्र रूप धारण करेगा।
शिक्षक संघ ने सरकार के समक्ष कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। इनमें प्रमुख रूप से सभी स्तरों पर रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को तत्काल बहाल करना, वर्तमान सत्र की स्थगित स्थानांतरण प्रक्रिया को गति प्रदान करना, चयन प्रोन्नत वेतन निर्धारण पर न्यायालय के हालिया आदेश के अनुरूप एक वेतनवृद्धि का आदेश जारी करना शामिल है। इसके साथ ही वरिष्ठ-कनिष्ठ वेतन निर्धारण के मामले में उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों की तरह ही माध्यमिक शिक्षकों को भी समान लाभ दिए जाने की मांग की गई है। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती से संबंधित लंबित मामलों का जल्द से जल्द निस्तारण होना चाहिए। आदर्श विद्यालयों में पूर्व से कार्यरत शिक्षकों और नवीन चयनित शिक्षकों के पदांक समान किए जाएं तथा उन्हें स्थानांतरण प्रक्रिया में बराबरी से शामिल किया जाए। शिक्षक संघ का कहना है कि लंबे समय से यह मामले लंबित पड़े हैं और सरकार की उदासीनता के कारण शिक्षकों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजकुमार चौधरी ने अपना आक्रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह आंदोलन सरकार को चेतावनी देने के लिए प्रारंभ किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि मांगों पर शीघ्र ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन चरणबद्ध तरीके से और व्यापक स्तर पर किया जाएगा। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 25 अगस्त को ब्लॉक मुख्यालयों पर, 27 अगस्त को जिला मुख्यालयों पर और 29 अगस्त को मंडल मुख्यालयों पर शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन होगा। इसके बाद भी यदि मांगें नहीं मानी गईं तो 1 सितम्बर से शिक्षा निदेशालय, देहरादून में जनांदोलन छेड़ा जाएगा। चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की मांगें पूर्णतः न्यायोचित हैं। सरकार को चाहिए कि वह बिना विलंब किए इन्हें स्वीकार करे, ताकि विद्यालयों का शैक्षिक माहौल प्रभावित न हो। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सरकार ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो मजबूरन शिक्षक संघ को उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। आज से शुरू हुए इस कार्य बहिष्कार के चलते हजारों छात्र-छात्राएं प्रभावित हो रहे हैं। विद्यालयों में शिक्षण कक्षाएं न होने से अभिभावकों के बीच भी चिंता का माहौल है। अभिभावकों का कहना है कि यदि स्थिति यही बनी रही तो बच्चों की पढ़ाई का भारी नुकसान होगा। शिक्षक संघ का यह आंदोलन अब सरकार के लिए चुनौती बन गया है। जहां एक ओर शिक्षक अपनी मांगों पर अड़े हैं, वहीं दूसरी ओर छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक मौन रहती है और कब तक शिक्षकों की जायज मांगों को टालती रहती है। फिलहाल उत्तराखण्ड का शिक्षा तंत्र ठप पड़ने की कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है। वही इस दौरान कार्य बहिष्कार में गरिमा पाण्डे, नीलिमा कोहली,डॉ. उमाशंकर, हरिदास विश्वास,राजेन्द्र सिंह, दीपक अरोरा,रेनविनोद कुमार, विनोद कुमार मेलकावरी, नेमली यश यादव,शमशेर सिंह खोलिया, कनीन्द्र सिंह नेगी, मनोज कुमार आपरी मौजूद रहे।