दुखदः नहीं रहीं आध्यात्मिक जगत की हस्ती दादी रतनमोहिनी! 101 वर्ष की आयु में दुनिया को कहा अलविदा, ईश्वरीय सेवाओं से बदली लाखों लोगों की जिंदगी

नई दिल्ली। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख और वरिष्ठ आध्यात्मिक साधिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का निधन हो गया। उन्होंने 101 वर्ष की आयु में अहमदाबाद के जाइडस अस्पताल में रात्रि 1ः20 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई लोगों ने दुख जताया है। दादी के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। धार्मिक से लेकर आध्यत्मिक और राजनीतिक हस्तियों ने शोक संदेश भेजे हैं। दादी ने आध्यात्मिक जीवन के 100 साल पूरे कर एक नया मुकाम हासिल किया है। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में अपने जीवन को ईश्वरीय सेवा में समर्पित कर दिया था। दादी रतनमोहिनी ने देश-विदेश में अपनी ईश्वरीय सेवाओं से लाखों लोगों की जिंदगी बदली है।
फिलहाल उनके पार्थिव शरीर को माउंट आबू स्थित शांतिवन लाया जा रहा है, जहां कॉन्फ्रेंस हॉल में अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे। उनका अंतिम संस्कार 10 अप्रैल को सुबह 10 बजे संपन्न होगा। बता दें कि दादीजी 1937 में ब्रह्माकुमारीज की स्थापना से लेकर अब तक संस्था की 87 वर्षों की यात्रा की साक्षी रही हैं। वे ब्रह्मा बाबा के 1969 में अव्यक्त होने तक 32 वर्षों तक उनके साथ साये की तरह रहीं। उनका समर्पण, सेवा और नेतृत्व संस्था के लिए प्रेरणास्रोत रहा। 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अत्यंत अनुशासित रही। वे प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में 3ः30 बजे उठतीं और राजयोग साधना में लीन हो जाती थीं। उनका जीवन ईश्वर-भक्ति, सेवा और सादगी का प्रतीक था।