प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति का चुनाव: 81 मतदाता तय करेंगे समाज का नेतृत्व! कई वर्षों बाद सिटी क्लब में मतदान से सजा चुनावी संग्राम

रुद्रपुर। ऊधमसिंह नगर जिले में बंगाली समाज की सबसे प्रभावशाली संस्था प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति के चुनाव को लेकर इस बार माहौल पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंग गया है। लंबे समय बाद सिटी क्लब रुद्रपुर में चल रही चुनावी प्रक्रिया न सिर्फ समिति की दिशा तय करेगी, बल्कि स्थानीय राजनीति में भी इसका असर देखने को मिलेगा। जानकारी के अनुसार, इस बार समिति की नई कार्यकारिणी के गठन के लिए 81 मतदाता मतदान कर रहे हैं। सुबह 10 बजे शुरू हुई प्रक्रिया में खबर लिखे जाने तक करीब 65 मतदाता अपना मत डाल चुके थे। हालांकि, कुछ सदस्यों की अनुपस्थिति से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
वही इस बार चुनाव का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु अध्यक्ष पद बना हुआ है। इस पद पर दो दिग्गज नेता आमने-सामने हैं और दोनों का सीधा नाता भाजपा से जुड़ा हुआ है। पहले प्रत्याशी दिलीप अधिकारी लंबे समय तक सभासद और पार्षद रह चुके हैं। अपने पार्षद कार्यकाल में वे नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष के रूप में सक्रिय रहे। भाजपा में उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है और रुद्रपुर से लेकर पार्टी हाईकमान तक उनका सीधा संपर्क बताया जाता है। यही कारण है कि इस बार भी वे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। दूसरे प्रत्याशी कृष्ण कुमार दास उर्फ के.के. दास भी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भाजपा के सक्रिय चेहरे के रूप में क्षेत्र में उन्होंने लंबे समय तक काम किया है। कल्याण समिति से उनका पुराना नाता रहा है। दास पूर्व में दर्जा मंत्री के रूप में भी रुद्रपुर में काम कर चुके हैं। संगठन और समाज में उनकी पकड़ को देखते हुए वे भी अध्यक्ष पद के लिए जोरदार चुनौती पेश कर रहे हैं। इस प्रकार अध्यक्ष पद को लेकर मुकाबला भाजपा समर्थित दो गुटों के बीच सीधे टकराव में बदल गया है। स्थानीय स्तर पर इसे भाजपा के अंदरूनी शक्ति संतुलन से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
वही अध्यक्ष पद के बाद सबसे चर्चित मुकाबला महासचिव पद पर है। इस पर दिनेशपुर के दो कांग्रेस से जुड़े चेहरे आमने-सामने हैं। महासचिव पद के दावेदार नारायण चंद्र हालदार और विकास सरकार दोनों ही लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार रखते हैं। यही वजह है कि महासचिव पद का चुनाव बेहद कांटे का माना जा रहा है। क्षेत्रीय समीकरण और व्यक्तिगत पकड़ इस चुनाव के नतीजे तय कर सकते हैं।उधर इस बार कई पदों पर निर्विरोध चुनाव ने भी दिलचस्प स्थिति बनाई है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट प्रिया जीत राय (शक्तिफार्म),कोषाध्यक्ष संजीत खान (शक्तिफार्म), संगठन सचिव भावेश मंडल (दिनेशपुर),उप सचिव अभिमन्यु (रुद्रपुर),इन निर्विरोध विजयों से संकेत मिलता है कि संगठन के भीतर कुछ पदों पर सहमति का माहौल रहा, लेकिन शीर्ष पदों पर भारी गहमागहमी बनी हुई है।
बंगाली कल्याण समिति का चुनाव केवल संगठन का नेतृत्व तय करने तक सीमित नहीं है। रुद्रपुर और आसपास के इलाकों में बंगाली समाज का बड़ा वोट बैंक है। समिति के नेतृत्व का सीधा असर नगर निकाय, विधानसभा और यहां तक कि लोकसभा चुनावों में भी देखा जाता है। इस बार अध्यक्ष पद पर भाजपा के दोनों नेताओं का आमने-सामने आना इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर भी गुटबाजी साफ दिख रही है। वहीं महासचिव पद पर कांग्रेस के दो दावेदारों का टकराना यह दर्शाता है कि बंगाली समाज में दोनों बड़ी पार्टियों की पकड़ और सक्रियता बनी हुई है। मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से जारी है। अंतिम क्षणों तक यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। समिति के चुनावी नतीजे न केवल संगठन की नई दिशा तय करेंगे, बल्कि रुद्रपुर की राजनीति में भी नए समीकरण गढ़ सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चुनाव बंगाली समाज के भीतर राजनीतिक ताकत का सीधा प्रदर्शन है। भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेताओं की इस जंग से यह तय होगा कि आने वाले नगर निकाय और विधानसभा चुनावों में किसका पलड़ा भारी रहेगा। कुल मिलाकर, प्रादेशिक बंगाली कल्याण समिति का यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। अध्यक्ष पद पर भाजपा गुटों की भिड़ंत और महासचिव पद पर कांग्रेस की कांटे की टक्कर ने चुनावी माहौल को रोमांचक बना दिया है। अब देखना यह है कि बंगाली समाज अपने नेतृत्व के लिए किस पर भरोसा जताता है और यह चुनाव स्थानीय राजनीति के भविष्य को किस दिशा में मोड़ता है।